आर्थिक एवं साइबर अपराध में बैंकों की भूमिका

पिछले कुछ समय से भारत आर्थिक और साइबर अपराधों में भारी नुकसान उठा रहा है। जीएसटी के फर्जी इनपुट क्लेम से लेकर क्रिप्टो करेंसी और शेयर बाजार में फर्जी खातों का उपयोग हो रहा है। इसमें बैंक कर्मचारियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

आरबीआई के सर्कुलर और सुझाव

आरबीआई को सभी बैंकों के बचत खातों की पुनः केवाईसी सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही, खाताधारक और खाता खोलने वाले बैंक कर्मचारी की पहचान को खाते से लिंक किया जाना चाहिए। इससे किसी भी फर्जी खाते की पहचान करने में आसानी होगी और बैंक कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच हो सकेगी। आरबीआई के पुराने सर्कुलर के अनुसार बचत खातों में रोजाना ₹20000 ऊपर के डिपॉजिट या विड्रोल कैश नहीं होगी पूरे महीने में ₹100000 से ऊपर का ट्रांजैक्शन नहीं होगा पूरे साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा की ट्रांजैक्शन नहीं होगी।

आरबीआई के नियमों के अनुसार

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों की पहचान प्रक्रिया को सख्त बनाएं और केवाईसी (KYC) मानकों का पालन सुनिश्चित करें। यह सर्कुलर बैंकों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने और उसकी रिपोर्ट करने के लिए विशेष रूप से निर्देशित करता है।

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को सभी बचत खातों में प्रति दिन ₹50,000 से अधिक के कैश ट्रांजैक्शन की रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। यह सर्कुलर किसी भी अवैध वित्तीय गतिविधि की पहचान करने और उसकी रोकथाम के लिए जारी किया गया था।

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को निर्देशित किया कि वे किसी भी खाते में एक महीने में ₹1,00,000 से अधिक के ट्रांजैक्शन पर निगरानी रखें। इसका उद्देश्य वित्तीय अपराधों की रोकथाम और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाना था।

बैंकों की जिम्मेदारी

आरबीआई को निर्देश देना चाहिए कि किसी भी बड़े अमाउंट के जमा या विड्रोल की सूचना अपने कंट्रोल रूम और आयकर विभाग को तुरंत दी जाए। सेविंग बैंक खाते में ₹50,000 से अधिक कैश जमा होते ही उस खाते को होल्ड पर रखा जाए और खाताधारक से संपर्क किया जाए।

बैंक कर्मचारियों की भूमिका

आजकल कई बैंक कर्मचारी अस्थायी या ठेके पर कार्यरत होते हैं, जो अपने टारगेट पूरे करने के लिए छोटे लोगों के खाते खोलने में लालच देते हैं। यह कर्मचारी साइबर और आर्थिक अपराधियों के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसे खातों का उपयोग अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिससे अपराध को अंजाम दिया जाता है।

कर्मचारियों की जांच और दंड

अगर किसी खाते में अनियमितता पाई जाती है, तो खाता खोलने वाले कर्मचारी और उस दिन कंप्यूटर पर काम कर रहे कर्मचारी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए। आरबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी एब्नार्मल अमाउंट के जमा या निकासी होने पर 72 घंटे के भीतर उसकी जांच हो और सही पाए जाने पर भी आयकर विभाग को सूचित किया जाए।

री-केवाईसी और आधार कार्ड का उपयोग

आरबीआई को पूरे भारत में री-केवाईसी सुनिश्चित करनी चाहिए और खाताधारकों के नवीनतम पते अपडेट करने चाहिए। किसी खाताधारक की 40 हजार रुपए महीने की ग्रॉस इनकम होने पर अगर अचानक 2 लाख रुपए जमा होते हैं, तो खाते को होल्ड कर दिया जाए। आधार कार्ड के बेसिस पर खोले गए सभी खातों को मर्ज किया जाए ताकि गड़बड़ी का पता चल सके।

सख्त दंड और प्रतिबंध

अगर किसी बैंक कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसे कम से कम दो से पांच साल तक किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में कार्य करने से प्रतिबंधित किया जाए। आधार कार्ड को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए और संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग सुविधा से वंचित किया जाए।

इस प्रकार की सख्त कार्रवाई से आर्थिक और साइबर अपराधों में कमी आएगी और बैंकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

suneelduttgoyal@gmail.com

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Governor RBI
Prime Minister’s Office (PMO)
Home Minister of India
Finance Minister of India
Chief Minister of India

Published in Business Remedies on 25 June, 2024.

विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों की गहन जांच की आवश्यकता।

पिछले कई दशकों में भारत में कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) खुले हैं, जिनका दावा समाज सेवा और विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यों में संलग्न होने का है। हालांकि, इनमें से कई संगठन अपने घोषित उद्देश्यों से भटककर अवैध गतिविधियों में संलिप्त हो गए हैं। इन संगठनों को विदेशी चंदा प्राप्त होता है, जिसका उपयोग वे समाज-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी कार्यों में कर रहे हैं।

विदेशी चंदा और अवैध गतिविधियाँ

एनजीओ का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा होना चाहिए, लेकिन कई संगठन विदेशी चंदे का दुरुपयोग कर रहे हैं। इन संगठनों का धन /  चंदा स्वंम के निजी उपयोग ,धार्मिक प्रचार, युवाओं को भटकाने, आतंकवाद, ड्रग्स आदि में उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, यह काले धन के प्रवाह का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बन गया है।

विदेशी चंदा और सरकार की भूमिका

मार्च 2023 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि पिछले तीन वर्षों में भारतीय एनजीओ ने विदेशी चंदे के रूप में कुल 55,449 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं। 2019-20 में 16,306.04 करोड़ रुपये, 2020-21 में 17,058.64 करोड़ रुपये, और 2021-22 में 22,085.10 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। 

विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (FCRA) के तहत गृह मंत्री अमित शाह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है और एनजीओ अब भी फल-फूल रहे हैं।

सरकार के लिए सुझाव

भारत सरकार को विदेशी चंदे के नाम पर हो रही अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए त्वरित और सख्त कदम उठाने चाहिए। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

1. एनजीओ की जांच और निगरानी

विदेशों से चंदा लेने पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए और प्रत्येक एनजीओ की आयकर विभाग द्वारा स्क्रूटिनी / गहन जांच आवश्यक होनी चाहिए। इसके साथ ही, सभी खातों का बेहतरीन रखरखाव और ऑडिट स्टैंडर्ड सुनिश्चित किए जाएं। बैंक खातों की ऑडिटिंग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे धन के स्रोत और उपयोग का स्पष्ट पता चल सकेगा। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और अन्य बड़े बैंकों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए ताकि फंड फ्लो एवं मनी ट्रेल का सही ट्रैक रखा जा सके।

2. अवैध गतिविधियों की पहचान

उन एनजीओ की पहचान करें जो विदेशी चंदा का उपयोग समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कर रहे हैं। गोपनीय सेवाओं का उपयोग करके इन एनजीओ और उनके सरकारी संपर्कों की जांच की जाए। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ तालमेल बनाकर संदिग्ध लेन-देन की निगरानी की जाए।

3. जिम्मेदारी और पारदर्शिता

एनजीओ से संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाए और उन्हें उत्तरदायी बनाया जाए। विदेशी चंदे की प्राप्ति और उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। भारतीय बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से एक ठोस निगरानी प्रणाली लागू की जानी चाहिए।

यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एनजीओ स्थापित करने से पहले और बाद में उनकी आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए, ताकि यह पता चल सके कि कहीं वे एनजीओ के धन का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, एनजीओ संस्था बनाने वाले और कर्मचारियों का आपराधिक रिकॉर्ड भी सावधानीपूर्वक जांचा जाए, और केवल साफ-सुथरा रिकॉर्ड रखने वाले व्यक्तियों को ही एनजीओ चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए। 

निष्कर्ष

भारत सरकार को विदेशी चंदे के नाम पर होने वाली अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए त्वरित और सख्त कदम उठाने चाहिए। यह न केवल भारतीय वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाएगा, बल्कि समाज में फैली अव्यवस्था और अस्थिरता को भी रोकेगा।

इस प्रकार की जांच से यह सुनिश्चित होगा कि एनजीओ की वित्तीय पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे।

जिम्मेदार मंत्रालय

  • प्रधानमंत्री कार्यालय 
  • गृह मंत्रालय
  • वित्त मंत्रालय
  • विदेश मंत्रालय
  • मुख्यमंत्री कार्यालय राजस्थान 

इन मंत्रालयों को मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि विदेशी चंदे का दुरुपयोग रोका जा सके और देश की सुरक्षा और अखंडता को सुनिश्चित किया जा सके।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

हवाला नेटवर्क: विदेशी मुद्रा का अवैध प्रवाह और इससे निपटने की आवश्यकता

भारत सरकार को एक महत्वपूर्ण सुझाव: विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों के बैंक खातों की जांच

विदेशों, विशेषकर अरब देशों में काम कर रहे अनेक भारतीय नागरिक अपनी आय को भारत के बैंक खातों में नहीं भेजते हैं। इसके बजाय, वे हवाला नेटवर्क का सहारा लेते हैं, जिससे कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं:

– हवाला नेटवर्क का दुष्प्रभाव:

  – आतंकवाद, मानव तस्करी, हथियारों का अवैध बाजार, और ड्रग्स के अवैध व्यापार को वित्तपोषण।

  – भारत से बाहर जाने वाले काले धन का मुख्य मार्ग।

  – भारतीय सरकार को विदेशी मुद्रा का बड़ा नुकसान।

  – भारतीय वित्तीय क्षेत्र की अस्थिरता।

– सरकार के लिए सुझाव:

  1. सूची तैयार करना: विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों की सूची बनाएं, जिसमें उनकी आय और धनराशि के भेजने का विवरण हो।

  2. आय की जांच: जांच करें कि ये लोग अपनी आय को भारत में भेज रहे हैं या नहीं। अगर नहीं, तो उनके आश्रित परिवार कैसे जीवित हैं और उन्हें पैसा कैसे मिल रहा है।

  3. हवाला नेटवर्क की पहचान: हवाला कारोबार में संलग्न लोगों और उनके भारतीय संपर्कों की पहचान करें।

  4. अधिकारियों की जिम्मेदारी: इस नेटवर्क में शामिल सरकारी और व्यवसायिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराएं।

  5. शिक्षा और जागरूकता: विदेश जाने वाले श्रमिकों को हवाला नेटवर्क के खतरों के बारे में जागरूक करें और उन्हें वैध चैनलों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें।

– नैटग्रिड और विमुद्रीकरण:

  – 2022 में गृह मंत्री अमित शाह ने नैटग्रिड के विकास की बात की थी, लेकिन अभी तक इसके परिणाम स्पष्ट नहीं हैं।

  – 2016 में भारत में विमुद्रीकरण ने हवाला प्रणाली पर एक महत्वपूर्ण रोक लगाई थी, लेकिन यह प्रणाली फिर से सक्रिय हो गई है।

– आंकड़े और आंकलन:

  – सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से हर साल 14 बिलियन विदेशी मुद्रा भारत भेजी जाती है, जिसमें से केवल 4 बिलियन नियमित चैनलों (जैसे बैंक) के माध्यम से आती है। शेष 10 बिलियन हवाला नेटवर्क के माध्यम से भेजी जाती है।

सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा भारत की सुरक्षा और वित्तीय प्रबंधन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग: लोकतंत्र को सशक्त बनाने का सुझाव

भारत की विशाल आबादी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रवासी भारतीयों का है। ये लोग देश के विभिन्न शहरों में रहते हैं या विदेशों में बस चुके हैं। जब देश में चुनाव होते हैं, तो ये प्रवासी भारतीय अक्सर लोकतंत्र के अपने मताधिकार का उपयोग करने से वंचित रह जाते हैं। इस समस्या का समाधान करते हुए, एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि आज के डिजिटल युग में इन सभी प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए।

प्रवासी भारतीयों की स्थिति

भारत के भीतर लगभग 45 करोड़  लोग आंतरिक प्रवासी हैं जिनमें  प्रतिशत रोज़गार की तलाश में पलायन करते हैं , जबकि लगभग 3.2 करोड़ भारतीय विदेशों में रहते हैं। ये लोग रोजगार, शिक्षा, और अन्य अवसरों की तलाश में अपने गृह राज्यों से दूर चले जाते हैं। हालांकि, जब चुनाव का समय आता है, तो वे अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में वोट डालने के लिए वापस नहीं जा पाते, जिसके कारण वे अपने मताधिकार से वंचित रह जाते हैं।

ऑनलाइन वोटिंग की आवश्यकता

डिजिटल भारत के इस युग में, ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान कर सकती है। इससे न केवल उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी सुनिश्चित होगी, बल्कि भारतीय लोकतंत्र को भी मजबूती मिलेगी।

ऑनलाइन वोटिंग की प्रक्रिया

1. आधार-लिंक्ड OTP वेरिफिकेशन:

    प्रवासी भारतीयों को ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा देने के लिए आधार-लिंक्ड OTP वेरिफिकेशन का उपयोग किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और विश्वसनीय तरीका होगा जिससे उनकी पहचान की पुष्टि की जा सकेगी।

2. मतदाता सूची में उल्लेख:

    जो लोग ऑनलाइन अपना वोट डालेंगे, उनके नाम के आगे मतदाता सूची में यह लिखा जाएगा कि वोट ऑनलाइन डाला गया है। इससे किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना को समाप्त किया जा सकेगा।

3. पूर्व-निर्धारित समय सीमा:

    ऑनलाइन वोटिंग के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की जा सकती है, ताकि चुनाव से कुछ दिन पहले ही प्रवासी भारतीय अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

ऑनलाइन वोटिंग के लाभ

1. सभी नागरिकों की भागीदारी:

    ऑनलाइन वोटिंग से सभी भारतीय नागरिक, चाहे वे देश में हों या विदेश में, अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

2. चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता:

    डिजिटल रिकॉर्ड के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।

3. समय और संसाधनों की बचत:

    चुनाव आयोग और मतदाताओं दोनों के लिए समय और संसाधनों की बचत होगी।

4. समावेशिता:

    यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी नागरिक, चाहे वह किसी भी कारण से अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं हो, अपने मताधिकार से वंचित न रहे।

ऑनलाइन वोटिंग का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

विभिन्न देशों ने पहले ही ऑनलाइन वोटिंग की प्रक्रिया को अपनाया है। इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं:

– एस्टोनिया: एस्टोनिया पहला देश है जिसने 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन वोटिंग की शुरुआत की थी।

– स्विट्जरलैंड: स्विट्जरलैंड ने कई बार ऑनलाइन वोटिंग का परीक्षण किया है और कुछ क्षेत्रों में इसे अपनाया है।

– कनाडा: कुछ स्थानीय और क्षेत्रीय चुनावों में ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग किया गया है।

वैज्ञानिक समुदाय और ऑनलाइन वोटिंग

वैज्ञानिक समुदाय ने ऑनलाइन वोटिंग को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण तकनीकी उपाय विकसित किए हैं:

– ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी: ब्लॉकचेन का उपयोग करके वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

– एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन: इससे यह सुनिश्चित होता है कि वोटिंग डेटा को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखा जा सके।

– बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन: यह सुनिश्चित करता है कि केवल सत्यापित मतदाता ही अपने मत का प्रयोग कर सकें।

निष्कर्ष – भारतीय लोकतंत्र को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह समय की मांग है कि हम डिजिटल युग के साधनों का उपयोग करके सभी नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करें और भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत बनाएं। ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा से प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का एक सशक्त माध्यम मिलेगा और भारतीय लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

शेयर बाजार को राजनीति से दूर रखें: उद्योगपतियों पर बेवजह के आरोपों से बचें।

पिछले कुछ वर्षों से यह देखा गया है कि कुछ राजनीतिक दल और नेता हमारे स्टॉक मार्केट के बड़े उद्योगपतियों को नामजद करके अपनी राजनीति में घसीटते हैं। यह पूर्णतया अनुचित है। हमें ऐसा लगता है कि जब उन्हें शेयर बाजार में तेजी या मंदी का कारोबार करना होता है, या उनके सहयोगियों को फायदा पहुंचाना होता है, तो वे शेयर बाजार में अनुचित तरीके से भय पैदा करके अवांछनीय तेजी-मंदी का खेल खेलते हैं। इसीलिए, वे अपने भाषणों में इस तरह की अमर्यादित और अनुचित बातें बोलते रहते हैं।

मैं न्यायपालिका और सरकार के सभी संस्थानों से निवेदन करता हूँ कि वे इस प्रकार की बेफिजूल की बातों पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाएं। ताकि एक सामान्य निवेशक, जो अपनी गाढ़ी कमाई को शेयर बाजार में लगाता है, ऐसे नेताओं की अनर्गल बातों से नुकसान न उठाए। उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी है कि नेताओं की जुबानों पर लगाम लगाई जाए, जिससे बाजार अकारण तेजी-मंदी से प्रभावित न हो।

मैं सरकार से गुजारिश करता हूँ कि उन सभी नेताओं के संबंध में, जो शेयर बाजार में कारोबार में शामिल हैं, सेबी को यह अधिकार दिया जाए कि जब भी कोई नेता किसी कंपनी, समूह या व्यक्ति विशेष के पक्ष या विपक्ष में शेयर बाजार संबंधित भाषण या बयानबाजी करता है, तो उसके 10 दिन पहले और 10 दिन बाद के सभी सौदों की जांच करवाई जाए। जो भी संबंधित लोग इसमें शामिल पाए जाएं, उन्हें आजीवन शेयर बाजार में कारोबार से प्रतिबंधित किया जाए। मैं सभी राजनेताओं से अपील करता हूँ कि वे अपनी राजनीति के लिए इस देश के स्वस्थ शेयर बाजार, कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपनी राजनीति में न घसीटें।

उद्योगपति आज से काम नहीं कर रहे, वे पिछले 30, 50, 80 या 100 वर्षों से उद्योग चला रहे हैं। किसी विशेष दल ने उन्हें उद्योगपति नहीं बनाया है। यदि कोई दल विशेष उन्हें उद्योगपति बना सकता, तो उन दलों के नेताओं को अपनी फैक्ट्री खोलकर साबित करना चाहिए कि वे भी अच्छे उद्योगपति हो सकते हैं। उद्योगपति बनने और बनाने के लिए बड़ा दिल और दिमाग चाहिए और उतनी बड़ी सोच भी। इसलिए, मेरा सभी राजनेताओं से करबद्ध निवेदन है कि हमारे स्वस्थ शेयर बाजार को विवादित न बनाएं।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

एनडीए की विजय: सहयोगी दलों के लिए सुझाव

नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए ने भारतीय चुनावों में शानदार विजय प्राप्त की है और अब गठबंधन सरकार बनाने जा रही है। इस ऐतिहासिक अवसर पर, सहयोगी दलों को एक मजबूत और प्रभावी सरकार चलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:

1. सार्थक संदेश प्रसारित करें:

सभी घटक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता में यह संदेश न जाए कि वे सरकार से किसी प्रकार की सौदेबाज़ी कर रहे हैं। इसके बजाय, यह संदेश जाना चाहिए कि वो सब उदार दिल से देश के विकास के लिए मोदी जी के सक्षम नेतृत्व में साथ है और यह सरकार अगले पांच साल तक सफलतापूर्वक चलेगी।

2. एकजुटता का प्रदर्शन करें:

आनेवाले विधानसभा चुनावों में सफलता पाने के लिए, सभी दलों को सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करना होगा। इस एकजुटता से न केवल सरकार की स्थिरता सुनिश्चित होगी बल्कि जनता का विश्वास भी बना रहेगा और सभी सहयोगी दलों की प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।

3. विकास और गतिशीलता पर जोर दें:

पिछले दस सालों से विकास और गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए गए हैं, उन्हें जारी रखना आवश्यक है। सभी घटक दलों को इस दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए और विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।

4. जनता का विश्वास जीतें:

लंबी अवधि तक सरकार को सफलतापूर्वक चलाने के लिए जनता में अपनी विश्वसनीयता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आवश्यक है कि सभी दल जनता की समस्याओं को समझें और उनके समाधान के लिए तत्पर रहें।

5. सरकार के साथ समन्वय:

सरकार के निर्णयों और नीतियों में सहयोग करें और उनमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। इससे न केवल सरकार की कार्यक्षमता में सुधार होगा बल्कि यह गठबंधन की मजबूती का भी प्रतीक होगा।

सहयोगी दलों को अपने-अपने राज्यों में आगामी चुनावों की तैयारी भी करनी है, यदि वे केंद्र सरकार के साथ समन्वय और सामंजस्य बनाकर अपने राज्यों में विकास कार्य करवाते हैं तो राज्य स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और उन्हें चुनावों में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

एक स्थिर एनडीए गठबंधन की सरकार देश को अगले पांच सालों तक स्थिरता और प्रगति की दिशा में नई ऊंचाई पर ले जाने में सक्षम होगी। जनता का समर्थन और विश्वास जीतने के लिए सभी घटक दलों को मिलकर प्रयास करना होगा और एक सशक्त और प्रभावी सरकार का निर्माण करना होगा।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

भारत में साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए सुझाव :

मैं आपका ध्यान भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड के मामलों को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। कृपया नीचे दिए गए बिंदुओं पर विचार करें:

1. जारी सिम की पुनः केवाईसी: वर्तमान में कार्यरत सभी सिम कार्ड्स की पुनः केवाईसी की जाए और उन्हें आधार से प्रॉपर तरीके से लिंक किया जाए। भविष्य में जारी होने वाली सिम की भी आधार और अंगूठा निशानी से अवश्य पुष्टि की जाए।

2. सिम विक्रेताओं को दंड: यदि सिम विक्रेता कोई गलती करता है, तो उसकी सिम बेचने की एजेंसी समाप्त कर दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में वह किसी अन्य कंपनी की सिम से संबंधित व्यापार न करे।

3. फ्रॉड सिम का स्थायी रूप से ब्लॉक: जो सिम साइबर क्राइम के फ्रॉड में शामिल पाई जाती है, उनसे संबंधित आधार कार्ड से जितनी भी सिम इशू की गई हैं, उन सभी को स्थायी रूप से ब्लॉक कर दिया जाए और उस आधार कार्ड के व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि आधार कार्ड से अगले कुछ सालों तक किसी भी प्रकार की सिम या ईमेल आईडी जेनरेट न हो। यह उसके लिए प्रारंभिक दंड प्रावधान होना चाहिए।

4. बैंक खातों की पुनः केवाईसी: आरबीआई को चाहिए कि वह पूरे हिंदुस्तान में सभी बैंकों में री-केवाईसी सुनिश्चित करे और उनके लेटेस्ट एड्रेस को पूर्णतया अपडेट करे। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बचत खाताधारक क्या व्यवसाय / व्यापार कर रहा है और उसकी सालाना आमदनी कितनी है। 12 महीने का ब्रेकअप करके उस पर कैप लिमिट फिक्स की जाए। यदि वह उससे ज्यादा पैसा जमा करता है या निकालता है, तो उसे 48-72 घंटे के लिए होल्ड कर दिया जाए और बैंक अधिकारी खाता धारक से पूछे कि अचानक इतना बड़ा पैसा कहां से आया और कहां जा रहा है। तब तक के लिए पैसों को सेल्फ / नकद में निकालने की अनुमति को बंद किया जाए।

5. आधार-लिंक्ड खातों का मर्जिंग: जिस आधार कार्ड के आधार पर खाता खोला गया है, उसके पूरे भारत में जितने भी खाते खुले हैं, उन्हें मर्ज किया जाए जिससे पता चले कि इस आधार कार्ड से कितने खाते खुले हुए हैं। किसी एक खाते में गड़बड़ी पकड़ में आने पर उसके सभी खाते फ्रीज कर दिए जाएं और अगले कुछ वर्षों के लिए उसकी बैंकिंग सुविधा बंद कर दी जाए। उसे दंड के रूप में नया खाता खोलने की अनुमति न हो और आधार कार्ड को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए। अपने खातों का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति को दिए जाने व फर्जी खाते बेचे जाने की समस्या भी इससे रुक जाएगी।

6. पीओ एस मशीन की पुनः केवाईसी: जितनी भी पीओएस मशीन बैंकों ने जारी की हैं, उनकी दोबारा केवाईसी और भौतिक सत्यापन कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि जिस व्यक्ति को पीओएस मशीन दी जा रही है, उसे वास्तव में इसकी आवश्यकता है। पीओएस मशीन को सेविंग खाते से जोड़ना बंद किया जाए और केवल करंट अकाउंट से जोड़ा जाए।

7. अस्थायी बैंक कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई: बैंकों के निचले स्तर के कर्मचारी जो टेम्परेरी या कम समय के लिए नौकरियां करते हैं और टारगेट पूरा करने के लिए गलत काम करते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।

8. साइबर फ्रॉड में शामिल बैंक कर्मचारियों को दंड: यदि किसी भी बैंक का कर्मचारी किसी भी साइबर फ्रॉड में शामिल पाया जाता है, तो उसे इतना दंडित किया जाए कि वह अगले दो-चार-पांच साल तक किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में कार्य न कर सके।

यदि इन सभी सुझावों को प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो हमारे देश में साइबर फ्रॉड के मामलों में काफी कमी आएगी।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

India’s Economic Landscape: Fiscal Deficit Widens, Core Sector Growth Eases, and Market Developments*

Jaipur, September 1, 2023 – India’s economic indicators have been a mixed bag in recent months, with fiscal deficit widening, core sector growth experiencing a slight ease, and various market developments shaping the landscape. Let’s take a closer look at some of the key highlights:

Fiscal Deficit and Core Sector Growth:
India’s fiscal deficit for the April-July period of the fiscal year 2023-24 stood at Rs 6.06 lakh crore, which represents 33.9% of the full-year target. This widening deficit reflects the ongoing challenges in managing government finances amid economic uncertainties.

On the other hand, core sector growth, a key indicator of economic activity, marginally eased to 8% in July. While the growth remains positive, this modest easing suggests potential challenges in sustaining robust growth rates.

Exports and Inflation:
Despite global recessionary pressures, India’s exports have shown resilience, recording growth during the recent period. Union Minister Piyush Goyal highlighted this achievement, even as the country managed to maintain its lowest inflation levels.

Growth Prospects and Market Developments:
India’s Chief Economic Advisor (CEA) expressed optimism about growth prospects for the upcoming year, providing a positive outlook for the economy. Additionally, the recent merger involving HDFC has contributed to improved non-food credit growth in July.

The bullish trend in the market has led to a cash market turnover reaching a 22-month high in August, demonstrating increased investor participation and confidence in the market.

However, there have been fluctuations in the shares of Adani companies, with a decline of 2-4% following a report from the Organized Crime and Corruption Reporting Project (OCCRP).

Other Key Market News:

  • The Indian GDP showed growth at the fastest pace in a year, but concerns about monsoon risks remain.
  • OCCRP’s report highlighted alleged attempts by Vedanta to weaken environmental regulations during the pandemic.
  • Jain Irrigation is reportedly in talks with Alpha credit fund to raise Rs 200 crore.
  • Jio Financial Services has been removed from BSE Indices.
  • Torrent Pharma’s potential non-binding bid to acquire a stake in Cipla has garnered attention.
  • Natco Pharma’s shares remained flat after a $2 million investment in a US pesticides company.

Sector-Specific Developments:

  • Zen Technologies saw gains after winning a significant order worth Rs 72.29 crore from the defense ministry.
  • Tata Power Renewable Energy signed an agreement with Sanyo Special Steel Manufacturing to establish a 28-MW solar plant.
  • Ashok Leyland formed a partnership with CSB Bank Ltd to facilitate vehicle financing.

IPO Updates:

  • Jupiter Life Line’s IPO is set to open on September 6 and close on September 8.
  • Rishabh Instruments IPO saw strong demand, with the issue being subscribed 2.46 times and the retail portion 2.79 times on Day 2.
  • Saroja Pharma Industries’ IPO garnered 77% subscription on the first day of bidding.
  • CPS Shapers’ IPO witnessed an exceptional response from investors, with a subscription rate of 236.67 times on the final day.

Other Notable Market Events:

  • Maruti Suzuki’s stock hit a record high, receiving a positive watch from J.P. Morgan, indicating potential outperformance.
  • Deloitte emphasized the growth opportunities provided by the One Nation-One Digital Card (ONDC) initiative across financial services, manufacturing, e-commerce, and agriculture sectors.
  • Nestlé India expanded its product offerings by entering the millets-based Ready-to-Make category.
  • Aditya Birla Fashion is set to raise Rs 750 crore.

As India’s economy navigates through a dynamic environment, these developments showcase a complex interplay of challenges and opportunities across various sectors. Investors and policymakers will continue to monitor these trends as they shape the economic trajectory in the coming months.

CHINESE GAMEPLAN TO CAPTURE THE FINANCIAL MARKETS UNDER THE SHIELD OF CORONA FEAR

In the wake of current Corona fear which stared from WUHAN China has played a shrewd game to capture the American and European Financial markets.
Due to the situation in Wuhan, the Chinese currency began to decline, but the Chinese Central Bank took no action to stop this collapse. The rumors of China struggling to curtain Corona and Xi Jinping’s statement that he is ready to protect Wuhan residents by blocking borders has led to a sharp decline in share prices (44%) in Chinese technology and the chemical industry.
Financial sharks began selling all Chinese stocks, but no one wanted to buy them and they were completely devalued. Xi Jinping made a great move at this time, waiting for a whole week and smiling at the press conferences as if nothing special had happened. And when the prices fell below the allowed limit, He ordered to buy ALL the shares of Europeans and Americans at the same time! Then, the “financial sharks” realized that they had been cheated and bankrupt. But it was too late, because all the shares had passed to China, which at this time not only earned $ 2000 Billion, but once again becomes the majority shareholder of companies built by Europeans and Americans. The shares now belong to their companies and have become owners of the heavy industry on which the EU, America and the entire world depend. From now on, China will set the price and the income of its companies will not leave the Chinese borders, but remain at home and maintain all the Chinese gold reserves.
You can your check the facts yourself as the world market is showing downward trends by 15-30% at the same time Chinese market is showing upward trend. Please note this is my personal opinion and Study.
Conclusion: As I think china would be the largest shareholder in whole world of capital Market.
SUNEEL DUTT GOYAL, Ex. Vice President, Jaipur Stock Exchange Ltd

प्रदेश में हो रही बजरी की परेशानियों को देखते हुए इम्पीरियल चैम्बर के महानिदेशक ने माननीया मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

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इम्पीरियल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के महानिदेशक श्री सुनील दत्त गोयल ने माननीया मुख्यमंत्री श्रीमति वसुन्धरा राजे को पत्र लिख कर प्रदेश में हो रही बजरी की परेशानियों से अवगत कराया साथ ही हो रही समस्या के बारे में समाधान भी बताया।