प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग: लोकतंत्र को सशक्त बनाने का सुझाव

भारत की विशाल आबादी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रवासी भारतीयों का है। ये लोग देश के विभिन्न शहरों में रहते हैं या विदेशों में बस चुके हैं। जब देश में चुनाव होते हैं, तो ये प्रवासी भारतीय अक्सर लोकतंत्र के अपने मताधिकार का उपयोग करने से वंचित रह जाते हैं। इस समस्या का समाधान करते हुए, एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि आज के डिजिटल युग में इन सभी प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए।
प्रवासी भारतीयों की स्थिति
भारत के भीतर लगभग 45 करोड़ लोग आंतरिक प्रवासी हैं जिनमें प्रतिशत रोज़गार की तलाश में पलायन करते हैं , जबकि लगभग 3.2 करोड़ भारतीय विदेशों में रहते हैं। ये लोग रोजगार, शिक्षा, और अन्य अवसरों की तलाश में अपने गृह राज्यों से दूर चले जाते हैं। हालांकि, जब चुनाव का समय आता है, तो वे अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में वोट डालने के लिए वापस नहीं जा पाते, जिसके कारण वे अपने मताधिकार से वंचित रह जाते हैं।
ऑनलाइन वोटिंग की आवश्यकता
डिजिटल भारत के इस युग में, ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान कर सकती है। इससे न केवल उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी सुनिश्चित होगी, बल्कि भारतीय लोकतंत्र को भी मजबूती मिलेगी।
ऑनलाइन वोटिंग की प्रक्रिया
1. आधार-लिंक्ड OTP वेरिफिकेशन:
प्रवासी भारतीयों को ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा देने के लिए आधार-लिंक्ड OTP वेरिफिकेशन का उपयोग किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित और विश्वसनीय तरीका होगा जिससे उनकी पहचान की पुष्टि की जा सकेगी।
2. मतदाता सूची में उल्लेख:
जो लोग ऑनलाइन अपना वोट डालेंगे, उनके नाम के आगे मतदाता सूची में यह लिखा जाएगा कि वोट ऑनलाइन डाला गया है। इससे किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना को समाप्त किया जा सकेगा।
3. पूर्व-निर्धारित समय सीमा:
ऑनलाइन वोटिंग के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की जा सकती है, ताकि चुनाव से कुछ दिन पहले ही प्रवासी भारतीय अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
ऑनलाइन वोटिंग के लाभ
1. सभी नागरिकों की भागीदारी:
ऑनलाइन वोटिंग से सभी भारतीय नागरिक, चाहे वे देश में हों या विदेश में, अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
2. चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता:
डिजिटल रिकॉर्ड के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।
3. समय और संसाधनों की बचत:
चुनाव आयोग और मतदाताओं दोनों के लिए समय और संसाधनों की बचत होगी।
4. समावेशिता:
यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी नागरिक, चाहे वह किसी भी कारण से अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं हो, अपने मताधिकार से वंचित न रहे।
ऑनलाइन वोटिंग का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
विभिन्न देशों ने पहले ही ऑनलाइन वोटिंग की प्रक्रिया को अपनाया है। इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं:
– एस्टोनिया: एस्टोनिया पहला देश है जिसने 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन वोटिंग की शुरुआत की थी।
– स्विट्जरलैंड: स्विट्जरलैंड ने कई बार ऑनलाइन वोटिंग का परीक्षण किया है और कुछ क्षेत्रों में इसे अपनाया है।
– कनाडा: कुछ स्थानीय और क्षेत्रीय चुनावों में ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग किया गया है।
वैज्ञानिक समुदाय और ऑनलाइन वोटिंग
वैज्ञानिक समुदाय ने ऑनलाइन वोटिंग को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण तकनीकी उपाय विकसित किए हैं:
– ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी: ब्लॉकचेन का उपयोग करके वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
– एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन: इससे यह सुनिश्चित होता है कि वोटिंग डेटा को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखा जा सके।
– बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन: यह सुनिश्चित करता है कि केवल सत्यापित मतदाता ही अपने मत का प्रयोग कर सकें।
निष्कर्ष – भारतीय लोकतंत्र को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह समय की मांग है कि हम डिजिटल युग के साधनों का उपयोग करके सभी नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करें और भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत बनाएं। ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा से प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का एक सशक्त माध्यम मिलेगा और भारतीय लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।
धन्यवाद,
सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान