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टीवी चैनलों, विश्लेषकों की सांठगांठ और आम निवेशक के साथ होता धोखाधडी का खुला खेल – क्यों चुप है सेबी और केंद्र सरकार? कठोर कदम उठाने की है आवश्यकता।

मुफ्त सलाह के नाम पर चल रहा है सबसे बड़ा घोटाला – देश के कुछ बड़े टीवी चैनलों पर इन दिनों शेयर बाजार से जुड़ी खबरों और विश्लेषणों की जो बाढ़ सी आ गई है, वह दरअसल एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। सुबह से लेकर शाम तक चैनलों पर बैठकर कुछ तथाकथित विश्लेषक निफ्टी, बैंक निफ़्टी, फिन निफ्टी तथा जितने भी फ्यूचर ऑप्शन के शेयर्स है तथा नकद भुगतान के शेयर भी शामिल होते हैं उनके भावों का का लेवल, ओपनिंग, क्लोजिंग, स्टॉप लॉस, टारगेट, अपर और लोअर टारगेट जैसी बातें करते रहते हैं। ये सभी भले ही सेबी के द्वारा पंजीकृत अधिकृत सलाहकार हों, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इन्हें यह अधिकार है कि वे आम निवेशकों को दिन-रात मुफ्त की सलाह देकर उनके निवेश के फैसलों को प्रभावित करें?
और सबसे बड़ी बात – अगर उनकी सलाह गलत साबित हो जाए, तो क्या वे उस नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार हैं? बिल्कुल नहीं! यही तो इस पूरे खेल की सच्चाई है।

पिछले पांच वर्षों में सेबी ने प्रमुख मीडिया व्यक्तित्वों से लेकर फिनफ्लुएंसर्स तक विभिन्न श्रेणियों के लोगों पर तथाकथित “सख्त कार्रवाई” की है, कई बार दोषी लोगों को बैन भी कर चुकी है। लेकिन बैन के बाद क्या हुआ? क्या इन विश्लेषकों को वाकई सजा मिली? क्या आम निवेशक को उसका पैसा वापस मिला? बिल्कुल नहीं!
उल्टा, ये विश्लेषक और चैनल फिर किसी नए नाम से, नए मंच पर धड़ल्ले से सक्रिय हो जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि जो आम निवेशक इनकी मुफ्त सलाहों के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठता है, उसे न तो न्याय मिलता है, न ही उसकी रकम वापस आती है।

हालिया मामले
जेन स्ट्रीट ग्रुप का मामला – इस वर्ष सबसे चर्चित मामला जेन स्ट्रीट ग्रुप का है, जिस पर सेबी ने इंडेक्स मैनिपुलेशन का आरोप लगाते हुए ₹4,843 करोड़ की अवैध कमाई जब्त करने का आदेश दिया है। लेकिन यह पैसा कहां जाएगा? पीड़ित निवेशकों को कब मिलेगा?

संजीव भसीन केस – पूर्व आईआईएफएल सिक्योरिटीज डायरेक्टर और प्रसिद्ध टीवी मार्केट एक्सपर्ट संजीव भसीन को 11 अन्य लोगों के साथ स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया गया है। भसीन पर आरोप है कि वे पहले शेयर खरीदते थे और फिर टेलीविजन और टेलीग्राम ग्रुप्स पर उनकी सिफारिश करते थे।
यह तो साफ़-साफ़ धोखाधड़ी थी, फिर भी यह खेल वर्षों तक चलता रहा।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संजीव भसीन न तो कभी सेबी द्वारा पंजीकृत थे और न ही अधिकृत विश्लेषक, फिर भी उन्हें वर्षों तक टीवी पर बोलने का मौका दिया गया — और वह भी प्रमुखता के साथ।

क्या यह चैनल की जिम्मेदारी नहीं बनती कि जब वह किसी व्यक्ति को दर्शकों के सामने वित्तीय सलाह देने का मंच देते हैं, तो पहले यह सुनिश्चित करें कि वह व्यक्ति सभी नियामक संस्थाओं, विशेषकर सेबी, से अधिकृत है या नहीं?
यह केवल चैनल की लापरवाही नहीं है — सेबी की तरफ से भी यह एक गंभीर चूक रही है, क्योंकि संजीव भसीन वर्षों तक टीवी पर वित्तीय सलाह और सूचनाएं देते रहे, और सेबी के अधिकारी चुपचाप सोते रहे।

अब अचानक यह कैसे याद आया कि संजीव भसीन सेबी के पंजीकृत विश्लेषक नहीं हैं?
कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि इस पूरे खेल में सभी की मिलीभगत है, और इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

लेखक स्वयं भी चार दशकों से अधिक का शेयर बाजार अनुभव रखते हैं और जयपुर स्टॉक एक्सचेंज में निदेशक एवं उपाध्यक्ष के पद पर कार्य कर चुके हैं। ऐसे में क्या ये टीवी चैनल वाले मुझे भी बोलने का मौका देंगे — बिना यह जांचे कि मैं सेबी से अधिकृत या पंजीकृत हूं या नहीं?
यह भी एक विचारणीय प्रश्न है कि सिर्फ संजीव भसीन को ही यह अवसर क्यों दिया गया?

प्रदीप पांड्या – पूर्व सीएनबीसी आवाज़ एंकर

शेयर बाजार में गोपनीय जानकारी लीक करने के कारण 5 वर्षों के लिए प्रतिबंधित – ₹1 करोड़ का जुर्माना

अल्पेश वसांजी फुरिया – टेक्निकल एनालिस्ट

अंदरूनी जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग के कारण 5 वर्षों के लिए प्रतिबंधित
₹1 करोड़ का जुर्माना

रवींद्र बालू भारती – भ्रामक निवेश सलाह देने के लिए प्रतिबंधित

नासिरुद्दीन अंसारी – फर्जी निवेश टिप्स फैलाने और X (पूर्व में ट्विटर) पर झूठे बाय/सेल सुझाव देने के कारण प्रतिबंधित

सिमी भौमिक – ज़ी बिज़नेस की गेस्ट एक्सपर्ट, प्रतिबंधित

मुदित गोयल – ज़ी बिज़नेस पर नियमित विश्लेषक, प्रतिबंधित

हिमांशु गुप्ता – ज़ी बिज़नेस गेस्ट एक्सपर्ट, प्रतिबंधित

आशीष केलकर – गेस्ट विश्लेषक, प्रतिबंधित

किरण जाधव – विश्लेषक, प्रतिबंधित

हेमंत घई – सीएनबीसी आवाज़ के एंकर, फर्जी ट्रेडिंग के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित

असमिता जितेश पटेल – “शी वुल्फ ऑफ द स्टॉक मार्केट” और “ऑप्शन्स क्वीन” के नाम से मशहूर इस लोकप्रिय यूट्यूबर को अनधिकृत निवेश सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। सेबी ने उससे और संबद्ध संस्थाओं से ₹53.67 करोड़ की अवैध कमाई जब्त की है।

अरशद वारसी और मारिया गोरेटी – बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी और उनकी पत्नी मारिया गोरेटी 59 संस्थाओं में शामिल थे, जिन्हें साधना ब्रॉडकास्ट के शेयरों की खरीदारी की सिफारिश करने वाले भ्रामक यूट्यूब वीडियो प्रमोट करने के लिए प्रतिबंधित किया गया। सेबी ने कुल ₹58.01 करोड़ की अवैध कमाई वापस करने का आदेश दिया।

टीवी चैनलों पर कंपनियों के नतीजों का खेल
कुछ बड़े टीवी चैनल्स अक्सर कंपनियों के तिमाही नतीजों पर अपनी राय थोपते हैं – “हमारे अनुमान से कम आए हैं”, “हमारे अनुमान से ज्यादा आए हैं”। सवाल है – इनके पास ऐसा कौन सा जादुई मैनेजमेंट मैकेनिज्म है, जो कंपनी के अंदर की पूरी जानकारी रखता हो? क्या ये कंपनियां, जो सरकार के सभी कानूनों का पालन करती हैं और जिनके पास प्रोफेशनल ऑडिटर्स हैं, इन टीवी चैनलों के तथाकथित अनुमान से कमतर हैं?
और जब ये अनुमान गलत साबित होते हैं, तो बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आता है, जिसका शिकार सिर्फ और सिर्फ आम निवेशक ही होता है।

विश्लेषकों का असली चेहरा
जितने भी विश्लेषक टीवी पर आ रहे हैं, यदि आप उनके पुराने रिकॉर्ड और इतिहास को जांचने की कोशिश करेंगे, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आएगी। जिन भी कंपनियों को वे रिप्रेजेंट करते हैं, उन कंपनियों के क्लाइंट्स की संख्या उनके तथाकथित विश्लेषकों के टीवी पर आने से पहले क्या थी और आज कितनी है – यह डेटा बताएगा कि कैसे टीवी की पहुंच का फायदा उठाकर ये लोग अपना धंधा बढ़ाते हैं।

टीवी चैनल और बदले की राजनीति
पिछले दो दशकों में देश के प्रमुख वित्तीय समाचार चैनलों का एक और घिनौना चेहरा सामने आया है, जो शेयर बाजार की कवरेज से कहीं अधिक चिंताजनक है। जब भी किसी कंपनी से इन चैनलों की कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हो जाती है या वह कंपनी इनके साथ ‘मैनेज’ नहीं हो पाती, तो ये चैनल उस कंपनी के खिलाफ व्यवस्थित मुहिम चलाना शुरू कर देते हैं। यह सिर्फ पत्रकारिता नहीं, बल्कि साफ तौर पर बदले की भावना से प्रेरित व्यावसायिक रणनीति है।

इन चैनलों का तरीका बेहद चालाकी भरा है – वे कंपनियों के खिलाफ नकारात्मक स्टोरीज चलाते हैं, उनके शेयर प्राइस को गिराने की कोशिश करते हैं, और फिर दर्शकों से कहते हैं कि “हमारी खबर का असर देखिए।” कुछ चैनल विशेष रूप से अत्यधिक पक्षपाती हैं और इनका एकमात्र उद्देश्य बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करना, निवेशकों को भ्रमित करना और पैसा कमाना है।

वहीं दूसरी ओर कुछ बड़े ब्रोकिंग हाउस को विशेष तवज्जो देकर उन्हें बार-बार टीवी पर आने का आमंत्रण देते हैं या उनके ऑफिस में पहुंचकर उनके बार-बार टीवी पर इंटरव्यू लेते हैं या किसी कंपनी को बहुत ज्यादा प्रमोट कर दिखाते हैं और जिससे अनाधिकृत रूप से बाजार में उस व्यक्ति विशेष या शेयर विशेष पर तेजी का माहौल बन जाता है यह व्यक्ति विशेष अपने आपको बहुत बड़ा एक्सपर्ट साबित करता है टीवी पर बार-बार आने के माध्यम सेऔर इसमें टीवी चैनल की मार्केटिंग टीम का बहुत बड़ा योगदान होता है|

विदेशी ताकतों का संदिग्ध हाथ
सबसे गंभीर बात यह है कि इन चैनलों की गतिविधियों के पीछे कहीं विदेशी ताकतों या ऐसे समूहों का हाथ तो नहीं, जो भारत में आर्थिक अस्थिरता या संकट पैदा करने की मंशा रखते हैं। यह संदेह इसलिए और भी गहरा हो जाता है क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली में एक स्पष्ट पैटर्न दिखता है – जो कंपनियां इनके ‘सिस्टम’ में फिट नहीं होतीं, उन्हें निशाना बनाया जाता है।

सरकार की तत्काल जिम्मेदारी – अब और देर नहीं
इस गंभीर मुद्दे पर सरकार को तुरंत गहन छानबीन करनी चाहिए। यह जांच सिर्फ इन चैनलों की वित्तीय पारदर्शिता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इनके फंडिंग सोर्स, विदेशी निवेश, और उन ताकतों की पहचान भी करनी चाहिए जो भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने में रुचि रख सकती हैं।
जब मीडिया की आड़ में व्यावसायिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल जुड़ जाते हैं, तो यह सिर्फ शेयर बाजार का मामला नहीं रह जाता – यह देश की आर्थिक संप्रभुता का प्रश्न बन जाता है।

मैनेजमेंट इंटरव्यू और मार्केटिंग का खेल
आजकल चैनलों पर “नो योर मैनेजमेंट” जैसे शो चल रहे हैं, जो दरअसल एक सुनियोजित धोखाधड़ी का हिस्सा हैं। इन शोज के पीछे चैनल की मार्केटिंग टीम महीनों पहले कंपनियों के मैनेजमेंट से संपर्क करती है, स्क्रिप्टेड सवाल-जवाब तय होते हैं, और तय समय पर उन्हें टीवी पर लाया जाता है – तेजी के दौर में या मंदी के दौर में, जैसा बाजार को प्रभावित करने के लिए जरूरी हो।

इसका नतीजा यह होता है कि शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव आता है। अगर सेबी पिछले दो-तीन महीने के टॉप 200-300 ट्रेडर्स के खातों की जांच करे, तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि किस तरह से बाजार को मैनिपुलेट किया जाता है।
हिंडनबर्ग जैसी कंपनियों के शॉर्ट सेलर्स भी यही सब करते हैं — वे बड़ा खेल खेलते हैं, जबकि भारतीय टीवी पर कुछ लोग छोटा खेल खेलते हैं।

टीवी चैनल और उन पर आने वाले विशिष्ट विश्लेषकों की हालत यह है कि वे रोज़ कोई न कोई नई-नई शीर्षक और विषय लेकर आते हैं — जैसे अगर क्रिकेट का मौसम है, तो “IPL 20 में क्या होगा?”, “T20 की टॉप टीम कौन?”, यदि गणेश चतुर्थी है, तो “गणेश जी की कृपा किन शेयरों पर बरसेगी?”, या फिर “सास, बहू और साजिश” की जगह “सास, बहू और शेयर बाज़ार” जैसे नाम रखकर मार्केट को हिप्नोटाइज़ करने का प्रयास करते हैं।

इस तरह के टाइटल्स और शो की प्रस्तुति से वे निवेशकों को भ्रमित करते हैं और मार्केट में नकारात्मक तरीके से असर डालते हैं। यह सब टीवी चैनलों की मार्केटिंग स्ट्रैटेजी का हिस्सा है — कि कैसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रभावित किया जाए, उन्हें मूर्ख बनाया जाए और मार्केट से आसान तरीके से पैसा कमाया जाए, और अपनी टी आर पी कैसे बढ़ाई जाये।

क्योंकि कानून इस क्षेत्र में न तो बहुत स्पष्ट है और न ही सख्त, इसलिए टीवी चैनल, विश्लेषक और एंकर ऐसे कंटेंट बनाते हैं जो किसी न किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक मार्केटिंग रणनीति हो — जिससे उनकी टीआरपी बढ़े और निवेशक उनकी बातों में आकर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किए बिना ही कदम उठाएं।
इस पूरे खेल का उद्देश्य विश्लेषकों और चैनलों को अधिकतम लाभ पहुंचाना है — उन्हें निवेशकों के नुकसान से कोई सरोकार नहीं होता।

सेबी और सरकार की जिम्मेदारी –
सेबी की जिम्मेदारी है कि वह हर निवेशक के एक-एक रुपये की सुरक्षा की गारंटी दे। लेकिन आज हालात यह हैं कि सेबी खुद दंतविहीन नजर आ रही है। जिन विश्लेषकों ने करोड़ों कमाए, उन पर मामूली पेनल्टी लगती है, और वे फिर से सक्रिय हो जाते हैं। आम निवेशक को न तो उसका पैसा वापस मिलता है, न ही न्याय।

यह एक तरह का साइबर फ्रॉड है, जिसमें लोगों को प्रलोभन देकर उनके विवेक को हिप्नोटाइज किया जाता है।

संसद में उठने चाहिए कड़े सवाल
मैं दोनों सदनों के सभी सम्मानित सांसद महोदयों से यह जोरदार अपील करता हूँ कि वे माननीय वित्त मंत्री महोदय से यह जानकारी अवश्य प्राप्त करें तथा संसद में इस विषय पर तीखे प्रश्न उठाएँ:

अब तक ऐसे कितने विश्लेषकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है?

उनसे कितनी राशि वसूल या ज़ब्त की गई है?

जो निवेशक उनके झांसे में आकर प्रभावित हुए और ठगे गए, उन्हें कितना नुकसान हुआ?

इस नुकसान की भरपाई सेबी ने किस प्रकार की है?

क्या उन निवेशकों को न्याय मिला?

संसद में यह सवाल उठाना जरूरी है कि सेबी ने टीवी चैनलों और विश्लेषकों की सांठगांठ को रोकने के लिए क्या कठोर कदम उठाए हैं? क्या ऐसे कायदे-कानून बनाए गए हैं जिससे निवेशक इन चैनलों और विश्लेषकों के प्रभाव से बच सकें? वर्तमान में सेबी के नियम इतने कमजोर हैं कि विश्लेषक करोड़ों कमाते हैं और मामूली पेनल्टी भुगतकर फिर से सक्रिय हो जाते हैं।

सेबी और सरकार को तत्काल करने होंगे कड़े कदम

सेबी को चाहिए कि वह टीवी चैनलों पर आने वाले विश्लेषकों की स्थायी रूप से जांच करे, और बिना अनुमति के किसी भी तरह की सलाह देने पर सख्त प्रतिबंध लगाए।

टीवी चैनलों द्वारा कंपनियों के नतीजों पर अपनी राय देने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे।

“नो योर मैनेजमेंट” जैसे शोज की सख्त निगरानी हो, ज्यादा बेहतर हो कि इस प्रकार के शोज को बंद ही कर दिया जाए और चैनल मार्केटिंग टीम, एंकर, विश्लेषकों के फोन और अकाउंट्स की जांच की जाए।

आम निवेशक को मुफ्त की सलाह से बचना चाहिए, और केवल प्रमाणित, फीस लेकर सलाह देने वाले सलाहकारों पर ही भरोसा करना चाहिए।

अब या कभी नहीं –
अब जबकि यह एक स्थापित तथ्य बन चुका है कि टीवी चैनलों पर मुफ्त टिप्स और सलाह देने वाले विश्लेषक न तो ईमानदार हैं और न ही निष्पक्ष हैं, बल्कि उनके अपने निहित स्वार्थ हैं, तो फिर सेबी इस हेरफेर भरी प्रथा पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा रही है? विकसित देशों में इस तरह की प्रथाओं की सख्त मनाही है – अमेरिका में प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग और यूरोप में यूरोपीय प्रतिभूति एवं बाजार प्राधिकरण जैसी संस्थाएं इस तरह के मैनिपुलेशन को बर्दाश्त नहीं करतीं। वहां टीवी पर आने वाले हर विश्लेषक को अपने हितों का खुलासा करना पड़ता है, और बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी व्यक्ति निवेश सलाह नहीं दे सकता।

भारत में जब हजारों करोड़ों का घोटाला हो चुका है, जब संजीव भसीन से लेकर असमिता पटेल तक के मामले सामने आ चुके हैं, जब यह साबित हो चुका है कि ये तथाकथित विशेषज्ञ पहले शेयर खरीदते हैं और फिर टीवी पर उनकी सिफारिश करते हैं, तो फिर सेबी की यह चुप्पी समझ से परे है। क्या सेबी को लगता है कि भारतीय निवेशक विकसित देशों के निवेशकों से कम सुरक्षा के हकदार हैं? क्या हमारे यहां आम निवेशक की गाढ़ी कमाई की कोई कीमत नहीं है?

सेबी को तुरंत इस मैनिपुलेटिव प्रथा पर स्थायी प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि अब यह सिर्फ नियामक विफलता नहीं, बल्कि भोले-भाले निवेशकों के साथ धोखाधड़ी में मूक सहयोग का मामला बन गया है। जब तक यह व्यवस्था जारी रहेगी, तब तक आम निवेशक इन चैनलों और विश्लेषकों के चंगुल में फंसता रहेगा, और उसकी मेहनत की कमाई इन तथाकथित विशेषज्ञों की जेब में जाती रहेगी।

जैसे चुनाव प्रचार मतदान से पहले बंद हो जाता है ताकि मतदाता अपने विवेक से फैसला कर सके, वैसे ही शेयर बाजार में भी टीवी चैनलों की यह कवरेज सीमित होनी चाहिए। सरकार, वित्त मंत्रालय, कॉर्पोरेट मंत्रालय, सेबी, एनएसई, बीएसई – सभी को मिलकर इस खेल पर सख्त लगाम लगानी चाहिए।
वरना वह दिन दूर नहीं जब आम निवेशक की गाढ़ी कमाई पूरी तरह लुट जाएगी, और बाजार का नियंत्रण सरकार के हाथ से बाहर हो जाएगा। अब वक्त आ गया है कि सेबी और सरकार मिलकर इस मायावी जाल को तोड़ें, सख्त कानून बनाएं, और दोषियों को कड़ी सजा दें। तभी शेयर बाजार सच में पारदर्शी, सुरक्षित और आम निवेशक के लिए फायदेमंद बन सकेगा।

यह सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं है – यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। और इसे इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.