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भारत की पेट्रोलियम कंपनियों का महाविलय: यही समय है ! सही समय है !

आज जब भारत तेज़ी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, हमें अपने संसाधनों, व्यवस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में वह क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा, जो आने वाले दशकों में देश को वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाए। पेट्रोलियम सेक्टर इसकी सबसे अहम कड़ी है—और यह वही क्षेत्र है जहाँ बिखराव, विभिन्न ब्रांड, गुणवत्ता की खाइयाँ, डिस्ट्रीब्यूशन में उलझन और बार-बार सामने आती घपलों-चोरियों की खबरें आम हो चुकी हैं।

इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, कितनी ही सार्वजनिक और निजी कंपनियाँ देश में तेल की आपूर्ति का जिम्मा उठाती हैं। लेकिन क्या ये बिखराव और प्रतिस्पर्धा जनता को वाकई बेहतर सेवा दे पा रही है? हर कंपनी का अपनी कंपाउंडिंग, अलग-अलग बफर स्टॉक्स, अलग स्टोरेज-ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था, अपनी अपनी लॉबी, नेताओं-अफसरों की हिस्सेदारी, पुराना नियम-कायदा, और अंत में पेट्रोल डीजल की गुणवत्ता में अंतर। क्या कभी आपने सोचा—एक शहर में दो ब्रांड के पंप पर, एक ही दिन एक ही पेट्रोल के दाम-गुणवत्ता अलग कैसे हो सकते हैं?

अब समस्या सिर्फ कीमत या उपभोक्ता के भ्रम की नहीं, बल्कि लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज की लागत व पारदर्शिता की कमी की भी है। रोज़मर्रा के अख़बारों की हेडलाइन बनती ‘‘पेट्रोल डीजल चोरी”, काला बाजारी, ट्रक-टैंकर घोटाले… अभी ताजातरीन मामला एक अखबार की फ्रंट पेज पर, पाइप लाइन से क्रूड आयल चोरी जो कई दशकों से चल रही है और एक बड़े माफिया का रूप ले चुकी है जो अपने आप में सिस्टम की खामियों का आईना है।

मर्जर से क्या-क्या बदल सकता है?

कल्पना कीजिए—यदि तीनो पेट्रोलियम कंपनियाँ मर्ज हो जाएं, उनके सभी संसाधन, पूंजी, पाइपलाइन, रिफाइनरी, इंजीनियरिंग, विपणन नेटवर्क एक जगह, एक छत्र-छाया के नीचे आ जाएं, तो कैसे खुलेगा तरक्की का नया रास्ता!

कोई “प्रीमियम” और कोई “सामान्य” पेट्रोल की उलझन रहेगी ही नहीं। देश-भर में एक ही क्वालिटी, सबसे बेहतरीन ग्रेड का पेट्रोल-डीजल मिलेगा।

लॉजिस्टिक्स और स्टोरेज की लागत आधी से भी कम, व्यवस्था खातों किताबों के हिसाब से एकदम पारदर्शी।

बफर स्टॉक्स और इमरजेंसी स्टोरेज—जो आज हर कंपनी अलग बनाती-रखती है, वह एक सिस्टम में आ जाएगा।

जब डीलरशिप खुलेगी, तो न पारिवारिक/राजनीतिक सिफ़ारिश चलेगी, न अफसरशाही की पकड़ बचेगी—पारदर्शी नीलामी और ऑक्शन से आम आदमी को भी अवसर।

बाजार में एक ही ब्रांड, एक ही पेट्रोल—तो उपभोक्ता के मन का भ्रम भी दूर और भ्रष्टाचार को भी सीधी चोट।

जब वाहनों के लिए एक ही ग्रेड भारत VI का पेट्रोल-डीजल सरकार उपलब्ध कराएगी, तो प्रदूषण कम करने का लक्ष्य भी यही से साधा जाएगा। ग्रीन हाउस गैसेस पर नियंत्रण होगा |

वर्टिकल मैनेजमेंट: हर डिवीजन की सीधी जवाबदेही

मेगा पेट्रोलियम कंपनी में हर उत्पाद—चाहे वह क्रूड ऑयल इंपोर्ट हो या की-लुब्रिकेंट, डीजल हो या एयर टरबाइन फ्यूल— प्रॉपेन सीएनजी या पेट्रोकैमिकल्स—उसके लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। हर वर्टिकल के महानिदेशक की स्पष्ट जिम्मेदारी होगी कि इंपोर्ट/खरीद, रिफाइनिंग -प्रोसेसिंग से लेकर ग्राहक को डिलीवरी तक के हर खर्च-लाभ की सटीक बहीखाते तैयार हो जायेंगे।
इस तरह सालाना जब एक विशाल जम्बो बैलेंसशीट बनेगी, तो सरकार और समाज जान पाएगा कि भारत का उत्पादन, उपभोग, टर्नओवर, इन्वेस्टमेंट और भविष्य की ज़रूरतें एवं वर्तमान के हालातों से रूबरू होंगे ।

अतीत से सबक, भविष्य का रास्ता

बहुत लोग कहते हैं—मर्जर में जोखिम है। मैं कहता हूं, यही वह वक्त है जब सरकार को साहसी निर्णय लेना चाहिए। जीएसटी को ही ले लीजिए, जब इसके लिए 25 से भी ज्यादा विभागों का एकीकरण हुआ, व्यापारियों से विरोध भी झेलना पड़ा, अफसरों से कड़ा सवाल भी, लेकिन जो ‘एक देश, एक टैक्स’, आज हरेक व्यापारी और उपभोक्ता सराह रहा है, वही फायदा पेट्रोलियम में भी मिलेगा।

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां—भारत को सीखना होगा

दुनिया में सऊदी अरामको जैसी कंपनियां ($590 अरब राजस्व, $1.8 ट्रिलियन मार्केट कैप), सिनोपेक-चाइना पेट्रोलियम ($487 अरब), पेट्रोचाइना, एक्सॉनमोबिल, शेल जैसे ब्रांड, अपनी भव्य एकीकृत व्यवस्थाओं के बल पर वैश्विक रैंकिंग में टॉप पर हैं। जब हमारी कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन एक साथ होगा, तब भारत भी दुनिया की सूची में कहीं आगे बढ़ जाएगा।

दुनिया की शीर्ष तेल कंपनियों का राजस्व और मार्केट कैप:

सऊदी अरामको (Saudi Aramco)
वार्षिक राजस्व: लगभग 590 अरब अमेरिकी डॉलर
मार्केट कैपिटलाइजेशन: 1.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर

सिनोपेक (China Petroleum & Chemical)
वार्षिक राजस्व: लगभग 487 अरब अमेरिकी डॉलर
मार्केट कैप: 58 अरब अमेरिकी डॉलर

पेट्रोचाइना (PetroChina)
वार्षिक राजस्व: लगभग 486 अरब अमेरिकी डॉलर
मार्केट कैप: 79 अरब अमेरिकी डॉलर

एक्सॉन मोबिल (ExxonMobil)
वार्षिक राजस्व: लगभग 387 अरब अमेरिकी डॉलर
मार्केट कैप: 445 अरब अमेरिकी डॉलर

शेल पीएलसी (Shell PLC)
वार्षिक राजस्व: लगभग 365 अरब अमेरिकी डॉलर
मार्केट कैप: 202 अरब अमेरिकी डॉलर

भारत की ‘मेगा कंपनी’ की संभावना
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के पास 13,772 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी है, इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन यानी बाजार पूंजीकरण 2,09,065 करोड़ रुपये है और इसके पास कुल रिज़र्व्स 1,72,716 करोड़ रुपये हैं। आज की तारीख में इसका शेयर भाव ₹148 है। कंपनी की सालाना बिक्री 7,58,106 करोड़ रुपये तक पहुँचती है और शुद्ध लाभ 13,789 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है।

भारत पेट्रोलियम के पास 4,273 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी है, कंपनी का मार्केट कैप 1,45,665 करोड़ रुपये और रिज़र्व्स 77,112 करोड़ रुपये हैं। इसके एक शेयर का दाम अब ₹336 है। बीपीसीएल ने 4,40,272 करोड़ रुपये की बिक्री की और 13,337 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पास 2,128 करोड़ रुपये की इक्विटी, 90,475 करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण और 49,016 करोड़ के रिज़र्व्स हैं। इस समय बाजार में इसका शेयर ₹425 है। बिक्री 4,34,106 करोड़ रुपये की रही जबकि शुद्ध लाभ 6,736 करोड़ रुपये रहा।

तीनों कंपनियों को जोड़ें तो कुल इक्विटी पूंजी 20,173 करोड़ रुपये, कुल मार्केट कैप 4,45,205 करोड़ रुपये और कुल रिज़र्व्स 2,98,844 करोड़ रुपये हो जाते हैं। इनकी कुल बिक्री 16,32,484 करोड़ रुपये है और मिलाजुला शुद्ध लाभ 33,862 करोड़ रुपये तक पहुँचता है।

यदि इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सभी बड़ी भारतीय पेट्रोलियम कंपनियां मर्ज होकर एक “मेगा इंडिया पेट्रोलियम” कंपनी का रूप लेती हैं, तो उसके संभावित फ़ायदे और वैश्विक प्रभाव कुछ इस प्रकार होंगे:
भारत की “मेगा कंपनी” का संयुक्त वार्षिक राजस्व लगभग 200–250 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा हो सकता है, जिससे वह दुनिया की टॉप-5 तेल कंपनियों की कतार में आ सकती है।

बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) भी बढ़कर लगभग 200-300 अरब अमेरिकी डॉलर के लगभग पहुँच सकती है, जिससे भारत वैश्विक मंच पर दिखेगा।
जनता को पूरे देश में एक ही दर और एक ही क्वालिटी का पेट्रोल-डीजल मिलेगा, जिससे उपभोक्ता भ्रांतियां और भ्रष्टाचार दूर होगा।

आज हर राज्य की अपना टैक्स की दरें अलग अलग होने से उनके बॉर्डर एरिया में जो पेट्रोल पम्प हैं यदि सस्ता है तो बेशुमार बिक्री होती है और अगर बॉर्डर का दूसरा पम्प महँगा है तो उसकी बिक्री नगण्य होती है और इसका उदाहरण राजस्थान – हरियाणा के बॉर्डर पर देखा जा सकता है।

लॉजिस्टिक्स, बफर स्टॉक्स, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज आदि पर दोहराव खत्म होगा और अनुमानतः 15–20% तक कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ सकती है। सभी का इन्वेंटरी प्रबंधन खर्च मर्जर के बाद आधा हो जाएगा।

एकीकृत कंपनी देश के लिए निवेश, रोजगार, टेक्नोलॉजी और पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेज़ी ला सकती है।

ग्लोबल स्टेज पर भारत की ब्रांडिंग मज़बूत होगी और “वन ब्रांड, वन कंपनी, वन नेशन” का सपना साकार होगा।

ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी। भविष्य की जनेरशन को एक अनुकूल पर्यावरण।

नई कंपनी के बनने से सैकड़ों नई नौकरियाँ, टेक्निकल, ऑपरेशनल और एडमिनिस्ट्रेशन में शानदार मौके।

इस तरह, भारत की एक विशाल पेट्रोलियम कंपनी विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने, देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने और उपभोक्ता जीवन आसान बनाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

देश के लिए, आम जनता के लिए

अब यह सिर्फ सरकार के सपने की बात नहीं—यह आम आदमी, टैक्सपेयर, व्यवसायी, किसान, व्यापारी, हर नागरिक के विकास का सपना है। भारत के हर कोने में एक ही दर, एक गुणवत्ता का पेट्रोल-डीजल, पारदर्शी सौदे, स्मार्ट व तेज वितरण। पाइपलाइन से गांव हो या मेट्रो सिटी, गैस-पेट्रोल के बेहतर इस्तेमाल की क्रांति।

अब बदलाव की ज़रूरत

क्या नई चुनौतियाँ नहीं होंगी? जरूर होंगी। बड़े बदलाव कभी भी बिना विरोध या टकराव के नहीं आते, लेकिन अगर लक्ष्य पारदर्शिता, दक्षता, राष्ट्रीय आय में बढ़ोतरी और उपभोक्ता को श्रेष्ठ सेवा देना है, तो यह फैसला ऐतिहासिक होगा।

“एक कंपनी, एक ब्रांड, एक क्वालिटी, एक राष्ट्र”—अब समय है भारत को एशिया ही नहीं दुनिया की शीर्ष तेल कंपनियों के साथ बराबरी पर खड़ा देखें। सरकार, विशेषज्ञ, और समाज—सबको आगे आकर इस परिवर्तन की ओर गंभीरता से कदम बढ़ाना होगा।

यदि आपको उसका कोई हिस्सा और विस्तार से चाहिए, या और भी संचारी, भावनात्मक या तथ्यपरक भाषा में चाहिए—तो आप निर्देश दें।
धन्यवाद,

रोटेरियन सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.