विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों की गहन जांच की आवश्यकता।

पिछले कई दशकों में भारत में कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) खुले हैं, जिनका दावा समाज सेवा और विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यों में संलग्न होने का है। हालांकि, इनमें से कई संगठन अपने घोषित उद्देश्यों से भटककर अवैध गतिविधियों में संलिप्त हो गए हैं। इन संगठनों को विदेशी चंदा प्राप्त होता है, जिसका उपयोग वे समाज-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी कार्यों में कर रहे हैं।
विदेशी चंदा और अवैध गतिविधियाँ
एनजीओ का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा होना चाहिए, लेकिन कई संगठन विदेशी चंदे का दुरुपयोग कर रहे हैं। इन संगठनों का धन / चंदा स्वंम के निजी उपयोग ,धार्मिक प्रचार, युवाओं को भटकाने, आतंकवाद, ड्रग्स आदि में उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, यह काले धन के प्रवाह का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बन गया है।
विदेशी चंदा और सरकार की भूमिका
मार्च 2023 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि पिछले तीन वर्षों में भारतीय एनजीओ ने विदेशी चंदे के रूप में कुल 55,449 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं। 2019-20 में 16,306.04 करोड़ रुपये, 2020-21 में 17,058.64 करोड़ रुपये, और 2021-22 में 22,085.10 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (FCRA) के तहत गृह मंत्री अमित शाह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है और एनजीओ अब भी फल-फूल रहे हैं।
सरकार के लिए सुझाव
भारत सरकार को विदेशी चंदे के नाम पर हो रही अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए त्वरित और सख्त कदम उठाने चाहिए। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
1. एनजीओ की जांच और निगरानी
विदेशों से चंदा लेने पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए और प्रत्येक एनजीओ की आयकर विभाग द्वारा स्क्रूटिनी / गहन जांच आवश्यक होनी चाहिए। इसके साथ ही, सभी खातों का बेहतरीन रखरखाव और ऑडिट स्टैंडर्ड सुनिश्चित किए जाएं। बैंक खातों की ऑडिटिंग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे धन के स्रोत और उपयोग का स्पष्ट पता चल सकेगा। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और अन्य बड़े बैंकों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए ताकि फंड फ्लो एवं मनी ट्रेल का सही ट्रैक रखा जा सके।
2. अवैध गतिविधियों की पहचान
उन एनजीओ की पहचान करें जो विदेशी चंदा का उपयोग समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कर रहे हैं। गोपनीय सेवाओं का उपयोग करके इन एनजीओ और उनके सरकारी संपर्कों की जांच की जाए। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ तालमेल बनाकर संदिग्ध लेन-देन की निगरानी की जाए।
3. जिम्मेदारी और पारदर्शिता
एनजीओ से संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाए और उन्हें उत्तरदायी बनाया जाए। विदेशी चंदे की प्राप्ति और उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। भारतीय बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से एक ठोस निगरानी प्रणाली लागू की जानी चाहिए।
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एनजीओ स्थापित करने से पहले और बाद में उनकी आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए, ताकि यह पता चल सके कि कहीं वे एनजीओ के धन का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, एनजीओ संस्था बनाने वाले और कर्मचारियों का आपराधिक रिकॉर्ड भी सावधानीपूर्वक जांचा जाए, और केवल साफ-सुथरा रिकॉर्ड रखने वाले व्यक्तियों को ही एनजीओ चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
निष्कर्ष
भारत सरकार को विदेशी चंदे के नाम पर होने वाली अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए त्वरित और सख्त कदम उठाने चाहिए। यह न केवल भारतीय वित्तीय प्रणाली को स्थिर बनाएगा, बल्कि समाज में फैली अव्यवस्था और अस्थिरता को भी रोकेगा।
इस प्रकार की जांच से यह सुनिश्चित होगा कि एनजीओ की वित्तीय पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे।
जिम्मेदार मंत्रालय
- प्रधानमंत्री कार्यालय
- गृह मंत्रालय
- वित्त मंत्रालय
- विदेश मंत्रालय
- मुख्यमंत्री कार्यालय राजस्थान
इन मंत्रालयों को मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि विदेशी चंदे का दुरुपयोग रोका जा सके और देश की सुरक्षा और अखंडता को सुनिश्चित किया जा सके।
धन्यवाद,
सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान