ई-मित्र केंद्रों पर सरकारी नियंत्रण की आवश्यकता: एक जरूरी कदम

ई-मित्र केंद्र सरकार की ओर से प्रदान की जाने वाली एक महत्वपूर्ण सेवा है, जो नागरिकों को विभिन्न सरकारी सेवाओं तक आसानी से पहुंचने में मदद करती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, इन केंद्रों के संचालन में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं, जो चिंताजनक हैं।
ई-मित्र केंद्रों की मौजूदा स्थिति
वर्तमान में, ई-मित्र केंद्रों का संचालन करने वाले अक्सर ठेके पर काम करने वाले लोग होते हैं, जो स्थानीय युवाओं को इस काम के लिए नियुक्त करते हैं। इन युवाओं को न केवल रोजगार मिलता है, बल्कि वे इन केंद्रों पर अपनी मनमर्जी से काम करते हैं। यह देखा गया है कि कई मामलों में, ई-मित्र केंद्रों के संचालक सरकारी निर्धारित फीस न लेकर अपनी मर्जी से फीस वसूलते हैं। इसके अलावा, जो लोग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आते हैं, उनके पासवर्ड, ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारियों का दुरुपयोग भी होता है।
ग्रामीण और कम जानकार नागरिक, जिनके पास खुद के घरों में कंप्यूटर नहीं होते या जो तकनीकी ज्ञान से वंचित होते हैं, अक्सर ई-मित्र केंद्रों पर निर्भर होते हैं। ये नागरिक अपनी मासूमियत के चलते उन कर्मियों के शिकार बनते हैं, जो भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त होते हैं। यह भी देखा गया है कि राशन कार्ड, आधार कार्ड, और अन्य दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा करके जारी किए जाते हैं।
सुधार की आवश्यकता
सरकार को इन केंद्रों पर सख्त नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ई-मित्र केंद्रों का संचालन करने वाले संचालक पूरी तरह से जवाबदेही के दायरे में हों। केंद्रों पर काम करने वाले कर्मचारियों की पूरी केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, और किसी भी अनियमितता के पाए जाने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
इसके अलावा, जो लोग फर्जीवाड़े में लिप्त पाए जाते हैं, उन्हें आजीवन इस तरह की सेवाओं से संबंधित किसी भी रोजगार से वंचित किया जाना चाहिए। यह कदम न केवल भ्रष्टाचार को कम करेगा, बल्कि जनता की सेवा में सुधार भी लाएगा।
तकनीकी निरीक्षण और प्रशिक्षण
ई-मित्र केंद्रों की तकनीकी संरचना की नियमित जांच भी आवश्यक है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी ई-मित्र केंद्रों में कार्यरत कर्मचारियों को उचित तकनीकी प्रशिक्षण मिले, जिससे वे नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता को बनाए रख सकें। इसके अलावा, नागरिकों को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि वे अपने संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।
डिजिटल भुगतान और रिकॉर्ड की पारदर्शिता
सरकार को ई-मित्र केंद्रों में डिजिटल भुगतान प्रणाली को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे नकद लेनदेन की संभावनाएं कम हो सकें और लेनदेन की पारदर्शिता बढ़े। इससे नागरिकों के लिए सेवाओं की लागत का ट्रैक रखना आसान हो जाएगा और भ्रष्टाचार की संभावना भी घटेगी। साथ ही, सभी लेनदेन और सेवाओं का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद या अनियमितता की स्थिति में जांच में आसानी हो।
समुदाय की भागीदारी और निगरानी
समुदाय की भागीदारी और निगरानी से ई-मित्र केंद्रों के कार्यों में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ सकती है। सरकार स्थानीय समुदायों ,निकायों और संगठनों को इस प्रक्रिया में शामिल कर सकती है, जिससे केंद्रों के संचालन की निगरानी अधिक प्रभावी हो सके। इसके लिए शिकायत निवारण तंत्र को भी मजबूत किया जाना चाहिए, जिससे नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकें और उन्हें समय पर निवारण मिल सके।
निष्कर्ष
ई-मित्र केंद्रों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है। सरकार को इन केंद्रों पर सख्त नियंत्रण रखते हुए, भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। इससे न केवल जनता की सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों का विश्वास भी बहाल होगा। तकनीकी निरीक्षण, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, डिजिटल भुगतान की प्रवृत्ति, और समुदाय की भागीदारी के माध्यम से, ई-मित्र केंद्रों की सेवाओं की गुणवत्ता को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है।
धन्यवाद,
सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com