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सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स: समाज के लिए एक गंभीर चुनौती

भारतीय समाज आज एक गंभीर संकट के मुँह में खड़ा है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की बेलगाम फौज ने हमारी सामाजिक व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। यह केवल मनोरंजन या व्यापारिक गतिविधि नहीं है—यह राष्ट्रीय चरित्र पर सीधा हमला है। सरकार की निष्क्रियता और सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी ने इस समस्या को महामारी का रूप दे दिया है।। ये तथाकथित इन्फ्लुएंसर बिना किसी सत्यापन के भ्रामक जानकारी फैलाते हैं, जिससे लाखों लोग गुमराह होते हैं। स्वास्थ्य से लेकर राजनीति तक, हर क्षेत्र में असत्य को सत्य के रूप में परोसा जा रहा है।

इन इन्फ्लुएंसर्स की सामग्री में गहरा पूर्वाग्रह और पक्षपात दिखता है। ये अपने व्यक्तिगत या प्रायोजित एजेंडे के अनुसार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हैं। धर्म, जाति, राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर एकतरफा और भड़काऊ विचार परोसे जाते हैं, जिससे समाज में विभाजन और अशांति फैलती है।
सबसे घातक पहलू यह है कि ये इन्फ्लुएंसर्स पेड मार्केटिंग को सामान्य सामग्री के रूप में छुपाते हैं। दर्शकों को पता ही नहीं चलता कि वे एक विज्ञापन देख रहे हैं या वास्तविक सलाह सुन रहे हैं। यह उपभोक्ता धोखाधड़ी का सबसे कुटिल रूप है, जहाँ भरोसे का फायदा उठाकर गलत उत्पादों और सेवाओं को बेचा जाता है।

आज का नौजवान सोशल मीडिया पर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वे इस गलतफहमी में हैं कि उनके लाइक्स, शेयर और सब्सक्राइबर्स बढ़ जाएंगे, और इसी उम्मीद में वे किसी भी तरह की रील्स बना रहे हैं – चाहे उसमें जोखिम हो या अशोभनीय सामग्री।

पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि हजारों युवा केवल एक वायरल रील बनाने के चक्कर में अपनी जान तक गंवा चुके हैं। जब वे अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाते, तब उनके सपनों की दुनिया बिखर जाती है और वे एंग्जायटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इसका असर सिर्फ उनके जीवन पर नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार पर भी पड़ता है, और उनके लिए एक नई समस्या खड़ी हो जाती है।

यह लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सोशल मीडिया का रेलीवेंस कुछ समय का ही है और यह कोई परमानेंट काम नहीं है लेकिन ज्यादा व्यूज लाइक्स और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए यह लोग कुछ भी करने को तैयार हैं।

यह केवल व्यापारिक गतिविधि नहीं है। जब हमारे युवा इन फर्जी आदर्शों को देखकर अपने जीवन की दिशा तय करते हैं, तो यह पूरी पीढ़ी के साथ विश्वासघात है। इन इन्फ्लुएंसर्स ने हमारी संस्कृति में शॉर्टकट और छलकपट की मानसिकता घुसा दी है।
कितना दुखद है कि जिस देश में “सत्यमेव जयते” का सिद्धांत है, वहाँ झूठ को व्यापार बनाया जा रहा है। हमारे पूर्वजों ने सिखाया था—”भले खुद का नुकसान हो जाए, पर किसी दूसरे का एक रुपया भी न डूबे।” आज यही लोग दूसरों को ठगने में गर्व महसूस करते हैं।

फर्जी प्रोफाइल्स के माध्यम से धोखाधड़ी, फ्रॉड और सामाजिक अपराध का जो जाल बिछाया गया है, वह आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है। रोमांस स्कैम से लेकर निवेश फ्रॉड तक, हज़ारों करोड़ रुपए की चोरी हो रही है।

निवेश घोटाले: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की भूमिका
आज के दौर में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स न केवल उत्पादों और ब्रांड्स का प्रचार करते हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर शेयर बाज़ार और क्रिप्टो निवेश घोटालों को भी बढ़ावा देने में गहरा संलिप्त हो गए हैं। ये इन्फ्लुएंसर—अक्सर बड़ी फैन फॉलोइंग और ‘विशेषज्ञ’ की छवि लेकर—लोगों को बिना किसी वैधता या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सलाह के स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, या क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए उकसाते हैं।

उन्होंने नकली चार्ट, मनगढ़ंत ‘गैरेंटीड रिटर्न’ के दावे, और गुप्त टिप्स के नाम पर जनता को भ्रमित किया—परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने जीवनभर की बचत ऐसे घोटालों में गंवा देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए वायरल होती इन फर्जी सलाहों और दिखावटी जीवनशैली के चलते कई निवेशक फेक ऐप्स और पोंजी योजनाओं के शिकार हुए हैं। क्रिप्टोकरेंसी जैसे अनियमित क्षेत्र में तो यह प्रवृत्ति और भी खतरनाक बन चुकी है, जहां कई इन्फ्लुएंसर्स, कंपनियों से मोटी रकम लेकर, स्कैम कॉइन्स का जबरदस्त प्रचार करते हैं और जरा-सी गिरावट होते ही लोगों की पूँजी डूब जाती है।

इन गतिविधियों से न केवल आम निवेशक ठगे जाते हैं, बल्कि वित्तीय स्थिरता और बाजार की पारदर्शिता को भी जबरदस्त नुकसान पहुँचता है। यह स्थिति साफ़ दर्शाती है कि बिना किसी नियमन और कानूनी जवाबदेही के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स निवेश जगत के सबसे बड़े जोखिम बन कर उभरे हैं, जिन पर तत्काल और कठोर नियंत्रण की आवश्यकता है।

तुलना: प्रिंट मीडिया बनाम सोशल मीडिया
प्रिंट मीडिया की सबसे बड़ी ताकत इसकी कड़ी सत्यापन प्रक्रिया में निहित है। यहाँ प्रत्येक खबर की गहराई से जाँच-पड़ताल होती है, तथ्यों को कई स्तरों पर परखा जाता है, और अनुभवी पत्रकारों द्वारा खोजी पत्रकारिता की जाती है। इसके विपरीत, सोशल मीडिया में किसी भी प्रकार का सत्यापन नहीं होता—कोई भी व्यक्ति कुछ भी लिखकर लाखों लोगों तक पहुँचा सकता है।

प्रिंट मीडिया में संपादकीय जवाबदेही की पूर्ण व्यवस्था है। संपादक और प्रकाशक प्रकाशित की गई हर सामग्री के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होते हैं। यदि कोई गलत जानकारी छपती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्तियों की होती है। सोशल मीडिया में यह जवाबदेही पूर्णतः अनुपस्थित है—न तो प्लेटफॉर्म की कोई जिम्मेदारी है और न ही व्यक्तिगत अकाउंट होल्डर की।

कानूनी ढांचे में स्पष्ट अंतर
प्रिंट मीडिया प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यायपालिका के कड़े नियंत्रण में काम करता है। गलत जानकारी के लिए कानूनी कार्रवाई, जुर्माना, और लाइसेंस रद्द करने तक के प्रावधान हैं। इसके विपरीत, सोशल मीडिया एक कानूनी शून्यता में काम कर रहा है—न तो स्पष्ट नियम हैं और न ही प्रभावी कार्रवाई का तंत्र।

गुणवत्ता और उद्देश्य का मौलिक भेद
प्रिंट मीडिया में गुणवत्ता नियंत्रण का कड़ा तंत्र है। दशकों के अनुभव वाले पत्रकार, संपादक, और विशेषज्ञ मिलकर सामग्री तैयार करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सूचना देना और जनहित में काम करना है। सोशल मीडिया का एकमात्र फोकस सनसनी पैदा करना और वायरलिटी हासिल करना है—यहाँ गुणवत्ता की जगह क्लिक्स और व्यू्स की गिनती महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय योगदान में आकाश-पाताल का अंतर
प्रिंट मीडिया का राष्ट्रीय योगदान अमूल्य है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसने जनचेतना जगाई, आजादी के बाद लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाया, और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई। गांधी जी से लेकर आज तक के हर महत्वपूर्ण आंदोलन में प्रिंट मीडिया की भूमिका रही है।

इसके ठीक उलट, सोशल मीडिया का योगदान समाज में विभाजन और अराजकता फैलाने में है। यह धर्म, जाति, राजनीति के नाम पर लोगों को बांटता है, फर्जी खबरें फैलाता है, और सामाजिक सामंजस्य को नुकसान पहुंचाता है।

प्रिंट मीडिया ने देश की आज़ादी से लेकर आज तक राष्ट्र निर्माण में अपना खून-पसीना लगाया है। इसका लंबा-चौड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर है, अनुभवी पत्रकारों की टीम है, और सबसे महत्वपूर्ण—नैतिक मानदंड हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का मुख्य उद्देश्य लोगों को सम्मोहित/भ्रमित करना है, सूचना या जानकारी देना नहीं। ये कंपनियाँ विज्ञापन राजस्व कमाने के लिए सनसनीखेज़ और भड़काऊ सामग्री को बढ़ावा देती हैं। यहाँ अपरिपक्वता और फूहड़ता का बोलबाला है, जबकि तथ्यपरक जानकारी गायब है।

इन्फ्लुएंसर्स: आधुनिक युग के सामाजिक परजीवी
आज के अधिकांश इन्फ्लुएंसर्स सामाजिक परजीवी बनकर रह गए हैं। ये किराए के टट्टू हैं जो पैसे के लिए अपनी आत्मा तक बेच देते हैं। इनका कोई सिद्धांत नहीं, कोई नैतिकता नहीं, केवल लालच है। ये वही लोग हैं जो कल किसी कंपनी का प्रचार करते हैं, आज किसी राजनीतिक पार्टी का, और कल किसी विदेशी एजेंडे का।

इनके कारण हमारी युवा पीढ़ी भटक रही है। लड़के-लड़कियाँ असंभव सपने देखते हैं, रातों-रात अमीर बनने के सपने देखते हैं। मेहनत, ईमानदारी और संयम की जगह शॉर्टकट और छलकपट की मानसिकता पनप रही है।

समाधान: तत्काल आवश्यक कार्रवाई

नकली पहचान का जहरीला खेल
आज हज़ारों फर्जी प्रोफाइल्स के माध्यम से धोखाधड़ी, फ्रॉड और सामाजिक अपराध का जाल बिछाया जा रहा है। एक व्यक्ति दर्जनों नकली अकाउंट बनाकर भोली-भाली जनता को ठगने में लगा है। रोमांस स्कैम से लेकर निवेश फ्रॉड तक, फेक प्रोफाइल्स के सहारे अरबों रुपए की चोरी हो रही है। यह आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है।
इन फर्जी खातों का उपयोग धर्मांतरण, सामुदायिक दंगे, राष्ट्रविरोधी प्रचार और युवाओं के मानसिक भ्रष्टाचार के लिए किया जा रहा है। सरकार कब तक इस अराजकता को बर्दाश्त करती रहेगी?

यह सरकारी नीति की घोर विफलता है कि आज तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के ज़रिए हर फर्जी प्रोफाइल को पकड़ना संभव है, तो सरकार की मौनता समझ से परे है।

आधार-आधारित KYC: एकमात्र समाधान

तत्काल प्रभाव से सभी सोशल मीडिया कंपनियों को आधार कार्ड प्रमाणीकरण के साथ अनिवार्य KYC लागू करना होगा। यह कोई सुझाव नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आपातकालीन आवश्यकता है। जिस प्रकार बैंक खाता खोलने या मोबाइल कनेक्शन लेने के लिए आधार अनिवार्य है, उसी प्रकार सोशल मीडिया अकाउंट के लिए भी यह अनिवार्य होना चाहिए।

1. तत्काल लागू करने योग्य नीति:
एक आधार, एक प्रोफाइल: प्रत्येक आधार कार्ड से केवल एक ही सोशल मीडिया अकाउंट की अनुमति
OTP-आधारित सत्यापन: प्रत्येक पोस्ट के लिए आधार-लिंक्ड मोबाइल पर OTP
तुरंत निलंबन: फर्जी जानकारी पाए जाने पर 24 घंटे के भीतर अकाउंट बंद करना
आपराधिक दायित्व: फेक प्रोफाइल बनाने वालों के खिलाफ तत्काल FIR

2. सोशल मीडिया कंपनियों पर कड़े नियम
भारत में डेटा सेंटर: सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य
भारतीय साझेदार: विदेशी कंपनियों के लिए स्थानीय पार्टनर की अनिवार्यता
भारी जुर्माना: नियम उल्लंघन पर ₹100 करोड़ तक का दंड
तुरंत बैन: भारतीय कानून न मानने पर सेवा बंद करना

3. इन्फ्लुएंसर उत्तरदायित्व अधिनियम
पेड कंटेंट की अनिवार्य घोषणा: हर प्रायोजित पोस्ट पर स्पष्ट लेबलिंग
तथ्य सत्यापन दायित्व: झूठी जानकारी फैलाने पर कानूनी कार्रवाई
लाइसेंसिंग प्रणाली: 1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर्स के लिए लाइसेंस

4. डिजिटल साक्षरता अभियान
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना: फेक न्यूज़ पहचानने की ट्रेनिंग
अभिभावक जागरूकता: बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर नियंत्रण
सामुदायिक कार्यक्रम: गाँव-शहर में डिजिटल जागरूकता अभियान

5. प्रिंट मीडिया को मज़बूती
सरकारी सहायता: विश्वसनीय पत्रकारिता के लिए विशेष फंड
डिजिटल अपग्रेड: प्रिंट मीडिया के लिए तकनीकी सहायता
युवा पत्रकारों को प्रोत्साहन: नैतिक पत्रकारिता के लिए छात्रवृत्ति

6. तकनीकी समाधान
AI-आधारित निगरानी
ब्लॉकचेन सत्यापन: सामग्री की प्रामाणिकता के लिए
रियल-टाइम फैक्ट चेकिंग: त्वरित सत्यापन प्रणाली

यह राष्ट्रीय आपातकाल है। यदि अभी भी कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ नहीं करेंगी। आधार-आधारित KYC तुरंत लागू करना, फर्जी प्रोफाइल्स को जड़ से मिटाना, और सोशल मीडिया को भारतीय मूल्यों के अनुकूल बनाना समय की मांग है।

प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता को और मज़बूत बनाना होगा और डिजिटल अराजकता पर लगाम लगानी होगी। जिस सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिए, उसे इन फर्जी प्रोफाइल्स की भेंट नहीं चढ़ने दिया जा सकता।

सोशल मीडिया का उपयोग समाज और देश के कल्याण के लिए, राष्ट्र निर्माण के लिए किया जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत लाभ और सामाजिक विघटन के लिए। समय रहते सचेत हो जाइए—देर हो जाने पर पछताना पड़ेगा।
धन्यवाद,

रोटेरियन सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.