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रोशनी लौटाने का संकल्प: नेत्रदान को जन-आंदोलन बनाइए

कॉर्निया अंधता उन समस्याओं में है जिन्हें सही सिस्टम और समय पर कदमों से तेजी से कम किया जा सकता है—जरूरत है जागरूकता को कार्रवाई में बदलने की, अस्पताल-आधारित रिट्रीवल को बढ़ाने की, और यह सुनिश्चित करने की कि दान हुआ हर कॉर्निया अधिकतम लोगों की रोशनी लौटाए। राजस्थान आई बैंक सोसाइटी (EBSR) की ताज़ा तिमाही रिपोर्ट दिखाती है कि पक्का इरादा, अच्छी काउंसलिंग और तेज़ प्रोसेसिंग मिलकर कैसे बड़ा असर लाते हैं।

क्यों जरूरी है
भारत में दृष्टिदोष और अंधता का कुल बोझ घटा है, लेकिन कॉर्निया अंधता ऐसा क्षेत्र है जहां प्रत्यारोपण से सीधे रोशनी लौट सकती है—यानी समस्या के साथ समाधान भी मौजूद है। राष्ट्रीय अंधत्व एवं दृष्टिदोष सर्वे (2015–19) ने दिखाया कि देश में अंधता का कुल प्रचलन 0.36% तक घटा, पर कॉर्निया सहित रोके जा सकने वाले कारणों पर सतत फोकस 2025 तक 0.25% के लक्ष्य के लिए जरूरी है।

राजस्थान का उदाहरण
जनवरी–जून 2025 में EBSR ने 1,518 कॉर्निया जुटाए और 930 प्रत्यारोपण करवाए; Q1 की उपयोगिता 56% से Q2 में 67% तक पहुँची, और जून में 197 ट्रांसप्लांट तथा 82.77% उपयोगिता का मासिक रिकॉर्ड बना। स्थापना से जून 2025 तक EBSR ने 25,808 कॉर्निया प्राप्त कर 16,597 प्रत्यारोपण कराए हैं, और बताया है कि राज्य में उपयोग होने वाले कुल कॉर्निया का लगभग 96% वह सप्लाई करता है—यह पैमाने, गुणवत्ता आश्वासन और समुदाय-भागीदारी का मजबूत मॉडल है।

देश की तस्वीर: सरकारी डेटा क्या कहता है
भारत सरकार के NPCB&VI के अनुसार 2019 तक अंधता प्रचलन 0.36% पर आ चुका था और 2025 तक 0.25% का राष्ट्रीय लक्ष्य तय है—यानी प्रोग्रामेटिक सुधार सही दिशा दे रहे हैं।

लोकसभा में सरकार ने बताया कि औसतन 40–50% दान की गई आंखें/कॉर्निया सालाना प्रत्यारोपण में उपयोग हो पाती हैं; गुणवत्ता, उम्र और मेडिकल कारणों से सभी ऊतक ऑप्टिकल ग्रेड नहीं बन पाते—यही गैप HCRP और लैब-सक्षम प्रक्रिया से पाटा जा सकता है।

2024–25 तक NPCBVI के माध्यम से 1.17 करोड़ से अधिक लोग विभिन्न नेत्र सेवाओं से लाभान्वित हुए; इसमें कैटरेक्ट, चश्मे, और अन्य रोग-प्रबंधन के साथ केरेटोप्लास्टी भी शामिल है—यह इकोसिस्टम कॉर्निया के असर को गुणा देने वाली बैकबोन है।

नीति इतिहास बताता है कि सरकार ने आई बैंकों/एडिसी को फंडिंग, स्टाफ ट्रेनिंग, और प्रति जोड़ी कॉर्निया पर प्रतिपूर्ति जैसी सहूलियतें दीं; लक्ष्य 1 लाख वार्षिक ट्रांसप्लांट तक स्केल करना था—अस्पताल-आधारित रिट्रीवल से उपयोगिता 50–72% तक जाती दिखी है।

क्या सबसे ज्यादा असर करता है
अस्पताल से सीधी प्राप्ति (HCRP): ICU/इमरजेंसी/मॉर्चरी में प्रशिक्षित काउंसलर समय पर सहमति और बेहतर ऊतक दिलाते हैं, जिससे उपयोगिता और ट्रांसप्लांट दोनों बढ़ते हैं। सरकारी स्वीकारोक्ति के मुताबिक उपयोगिता 40–50% के औसत से ऊपर ले जाने के लिए यही सबसे बड़ा लीवर है।

उपयोगिता-फर्स्ट सोच: सर्जन नेटवर्क, समय पर लैब टेस्ट (सेरोलॉजी, स्पेक्युलर माइक्रोस्कोपी), और लेमलर तकनीकें (DSEK/DMEK/DALK) एक कॉर्निया से दो मरीजों तक को लाभ पहुँचा सकती हैं।

भरोसा और सम्मान: राजस्थान की जमीनी कहानियाँ—चलती एंबुलेंस में नेत्रदान, तीसरे दिन की बैठक में सार्वजनिक सम्मान—दिखाती हैं कि संवेदनशील संवाद और पारदर्शिता से परिवार समय पर हाँ कहते हैं।

नीति और सिस्टम: तुरंत क्या करें
HCRP को सार्वभौमिक बनाइए: सभी मेडिकल कॉलेजों और बड़े अस्पतालों में 24×7 काउंसलर व रिट्रीवल टीम, मॉर्चरी एक्सेस और फास्ट-ट्रैक लैब सपोर्ट अनिवार्य हों; राज्यों के डैशबोर्ड “कलेक्शन” नहीं, “उपयोगिता और ऑपरेशन” पर रैंक करें।

उपयोगिता पर फंडिंग: अनुदान/CSR प्रोत्साहन उन आई बैंकों को प्राथमिकता दें जो लगातार 60–70%+ उपयोगिता दिखाएँ और जिलों तक लेमलर ट्रेनिंग पहुँचाएँ।

रुकावटें हटाइए: मेडिकल-लीगल क्लियरेंस, ट्रांसपोर्ट और इंटर-स्टेट एक्सचेंज के मानक समय-सीमा के साथ तय हों; जिला-स्तर पर सेरोलॉजी और स्पेक्युलर की उपलब्धता डिस्कार्ड कम करती है।

डेटा पारदर्शिता: NPCBVI डैशबोर्ड पर तिमाही राज्यवार कलेक्शन, ट्रांसप्लांटेबल-ग्रेड यील्ड और वास्तविक ट्रांसप्लांट प्रकाशित होते रहें, ताकि “कलेक्शन बनाम उपयोगिता” का अंतर न रहे।

जन-भागीदारी: NSS/कॉलेज, धार्मिक व सामुदायिक नेतृत्व और शोक-समय संवाद की स्क्रिप्ट—जिन्हें राजस्थान अपना रहा है—को व्यापक बनाइए, ताकि फॉर्म से ज्यादा “परिवार की तैयारी” हो और हेल्पलाइन पर समय से कॉल पहुँचे।

राजस्थान से देश की सीख
Q2 की उछाल—एक महीने में 197 ट्रांसप्लांट और 82.77% उपयोगिता—यह साबित करती है कि जब अस्पताल रिट्रीवल, काउंसलिंग और लैब-लॉजिस्टिक्स एक सूत्र में आ जाते हैं, तो हर दान लगभग तय रोशनी में बदलता है। यही मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने से 40–50% की औसत उपयोगिता को 60–70%+ तक ले जाना संभव है।

तुरंत कदम
सरकारें: HCRP का सार्वभौमीकरण, उपयोगिता-आधारित स्कोरकार्ड, लेमलर ट्रेनिंग, और इंटर-स्टेट ऊतक-विनिमय के समयबद्ध मानक तय करें—2025 के 0.25% लक्ष्य की दिशा में यह तेज़ी जरूरी है।

अस्पताल: ICU/ER/मॉर्चरी में आई-डोनेशन चैंपियन नामित करें और ऑन-कॉल रिट्रीवल SOPs लागू करें—यही “घंटों के भीतर सहमति” को संभव बनाता है।
नागरिक: परिवार से अभी बात करें, टोल-फ्री नंबर सहेजें, और मौत के कुछ घंटों में सूचना दें—यही वो पल है जो संवेदना को दृष्टि में बदल देता है।

हर कॉर्निया ऑपरेशन थिएटर तक पहुँचना चाहिए—और हर “हाँ” एक इलाज में बदलनी चाहिए। देश के पास नीति, कार्यक्रम और अनुभव का खाका मौजूद है; राजस्थान यह दिखा रहा है कि जमीन पर इसे कैसे जिया जाता है।

धन्यवाद,

रोटेरियन सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

लेखक खुद भी अपने नेत्रदान का पंजीकरण करा चुके हैं | इसके अलावा अंगदान एवं देह दान का भी पंजीकरण कराया हुआ है |

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.