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म्यूचुअल फंड्स को भी डीमैट में लाना क्यों ज़रूरी है?

भारत में पूंजी बाजार लगातार विकसित हो रहा है। भारतीय वित्तीय बाजार में डिजिटलीकरण की क्रांति ने पिछले दशकों में अभूतपूर्व परिवर्तन लाए हैं। टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और सरकार ने समय-समय पर कई दूरदर्शी निर्णय लिए हैं। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध सभी सिक्योरिटीज को 100% डीमैट (डिमैटेरियलाइज़्ड ) फॉर्मेट में लाना ऐसा ही एक कदम था, जिसने शेयर बाजार में धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम किया और लेनदेन को त्वरित एवं पारदर्शी बनाया।

सेबी और सरकार डिजिटलीकरण का ढिंढोरा तो पीटती हैं, मगर म्यूचुअल फंड्स के मामले में जानबूझकर पिछड़ापन क्यों बनाए हुए हैं? शेयरों और प्राइवेट कंपनी शेयरों को डीमैट में बदलकर उन्होंने दिखा दिया कि वे जानते हैं कि कैसे धोखाधड़ी रोकी जाती है। फिर इस ₹72 लाख करोड़ के एक महत्वपूर्ण निवेश के साधन म्यूचुअल फंड्स को डीमैट में अनिवार्य करने की दिशा में अब तक कदम क्यों नहीं उठाया गया? क्या यह जानबूझकर की गई लापरवाही है?

देश की एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (ए एम सी ) करोड़ों निवेशकों का पैसा संभालती हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 के अंत में कुल एयूएम ₹72.18 लाख करोड़ था। यह पिछले महीनों की तुलना में पर्याप्त वृद्धि और साल-दर-साल उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जिसमें उद्योग का एयूएम अप्रैल 2025 में ₹70 ट्रिलियन का आंकड़ा पार कर गया है।

यह बात समझ से परे है: म्यूचुअल फंड्स का वॉल्यूम आज लिस्टेड सिक्योरिटीज के वॉल्यूम के लगभग बराबर है। इसके बावजूद यह पारंपरिक और जटिल व्यवस्थाओं में फंसा हुआ है। म्यूचुअल फंड यूनिट्स को 100% डीमैट में लाने से न केवल निवेशकों का काम आसान होगा, बल्कि पूरे बाजार में क्रांतिकारी बदलाव होगा।
जैसे आरबीआई हर रोज डॉलर और विदेशी मुद्राओं की दर तय करता है, वैसे ही म्यूचुअल फंड्स की एनएवी तो रोज घोषित होती है, फिर यही यूनिट्स उसी दिन के भाव पर क्यों नहीं खरीदी-बेची जा सकतीं? क्या तकनीक नहीं है, या फिर इच्छाशक्ति की कमी है?

वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
वर्तमान में, म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए निवेशकों के पास दो विकल्प हैं – या तो स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट (एसओए) के माध्यम से या फिर डीमैट अकाउंट के माध्यम से। हालांकि, डीमैट फॉर्मेट एक विकल्प मात्र है, अनिवार्य नहीं। इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे रिडेम्पशन में देरी, पेपरवर्क की अधिकता, और निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो का समग्र दृश्य प्राप्त करने में कठिनाई।

भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग का आकार विशाल है। मई 2025 तक, भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) ₹72.20 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि म्यूचुअल फंड्स अब भारतीय निवेशकों के बीच कितने लोकप्रिय हो गए हैं। इतने बड़े बाजार के लिए एक समान, पारदर्शी और कुशल प्रणाली की आवश्यकता है।

डीमैट फॉर्मेट के लाभ
म्यूचुअल फंड्स को अनिवार्य रूप से डीमैट फॉर्मेट में लाने से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:

निवेशकों के लिए लाभ
रियल-टाइम ट्रांजैक्शन: निवेशक तुरंत ऑनलाइन रिडेम्पशन और खरीद कर सकेंगे, जिससे उन्हें उसी दिन का नवीनतम मूल्य मिलेगा, बिना एक दिन का इंतज़ार किए।

एकीकृत पोर्टफोलियो दृश्य: निवेशक अपने सभी निवेशों – शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड्स – को एक ही डीमैट अकाउंट में देख सकेंगे, जिससे पोर्टफोलियो प्रबंधन आसान होगा।

पेपरवर्क में कमी: डीमैट फॉर्मेट में म्यूचुअल फंड्स रखने से भौतिक दस्तावेजों या पेपरवर्क की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।समस्त कार्य पेपर लेस होने की वजह से माननीय मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता है |

बाजार के लिए लाभ
बाजार में वॉल्यूम वृद्धि: म्यूचुअल फंड्स को ट्रेडेबल बनाने से बाजार में वॉल्यूम में तुरंत प्रभाव से वर्तमान मूल्यांकन के हिसाब से बेहतर 72 लाख करोड रुपए से भी अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

रॉन्ग सेलिंग पर लगाम: एजेंट्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा स्कीम की गलत बिक्री की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।

ब्रोकर्स के लिए अवसर: शेयर बाजार के ब्रोकर्स के पास बड़ा वॉल्यूम आएगा, जिससे उनके व्यवसाय में वृद्धि होगी।

डिजिटल परिवर्तन: पूरा म्यूचुअल फंड सिस्टम डिजिटल हो जाएगा, जिससे भारत के डिजिटल वित्तीय परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।

फंड मैनेजर्स के लिए लाभ
फंड मैनेजर्स पर दैनिक रिडेम्पशन और नए निवेश के मानसिक दबाव से मुक्ति मिलेगी। रिडेम्प्शन के दबाव से मुक्त होकर वे बेहतर और दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम कर पाएंगे, जिससे उनके निवेश निर्णय बेहतर होंगे।

कार्यान्वयन का प्रस्तावित मॉडल
म्यूचुअल फंड्स को ट्रेडेबल बनाने के लिए एक मॉडल प्रस्तावित किया जा सकता है:
एनएसई का म्यूचुअल फंड सर्विस सिस्टम (एमएफएसएस): एनएसई पहले से ही एमएफएसएस प्रदान करता है, इसी प्रकार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बीएसई स्टार, जिसके माध्यम से निवेशक म्यूचुअल फंड यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस प्रणाली को विस्तारित करके सभी म्यूचुअल फंड्स के लिए अनिवार्य किया जा सकता है।

डेली एनएवी के आधार पर ट्रेडिंग: जैसे आरबीआई हर दिन विदेशी मुद्राओं के लिए रेट तय करता है, वैसे ही म्यूचुअल फंड कंपनियां हर शाम अपनी एनएवी घोषित करती हैं। इसी एनएवी के आधार पर अगले दिन की ट्रेडिंग हो सकती है।
डिपॉजिटरी सिस्टम का उपयोग: एनएसडीएल और सीएसडीएल जैसे डिपॉजिटरीज पहले से ही म्यूचुअल फंड यूनिट्स को डीमैट फॉर्म में रखने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस व्यवस्था को अनिवार्य बनाया जा सकता है।

सरकार और सेबी से अपेक्षा
जब सेबी ने लिस्टेड सिक्योरिटीज और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के लिए डीमैट फॉर्मेट अनिवार्य कर दिया है, तो समय आ गया है कि सरकार और सेबी सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर इस महत्वपूर्ण सुधार को लागू करें। म्यूचुअल फंड्स को अनिवार्य डीमैट फॉर्मेट में लाकर भारत के शेयर बाजार को पारदर्शिता, तरलता और निवेशकों के विश्वास का नया आधार दिया जाए। यह न केवल निवेशकों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि पूरे वित्तीय बाजार के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी।

सरकार और सेबी को सभी हितधारकों – एसेट मैनेजमेंट कंपनियों, स्टॉक एक्सचेंजों, डिपॉजिटरीज और निवेशकों – के साथ मिलकर इस परिवर्तन को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना चाहिए। यह कदम भारतीय वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता, कुशलता और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देगा, जिससे अंततः निवेशकों का कल्याण होगा।

भारत के वित्तीय बाजारों में यह परिवर्तन एक नए जीवन, नए युग और नई दिशा की शुरुआत होगी, जो हमारे देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.