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Make the Census Digital: Towards One India, One Data Platform

भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश में जनगणना सिर्फ जनसंख्या की गिनती नहीं होती, बल्कि यह देश की सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दिशा तय करने का एक सशक्त माध्यम भी होती है। हर 10 वर्षों में होने वाली यह प्रक्रिया लाखों कर्मचारियों और हजारों करोड़ रुपये के बजट के साथ संपन्न होती है। लेकिन क्या अब समय नहीं आ गया है कि इस विशालतम डेटा संग्रह प्रणाली को डिजिटल युग की ओर अग्रसर किया जाए?

आज जब बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, वोटिंग, रेलवे बुकिंग, आधार कार्ड और पासपोर्ट तक की सेवाएं डिजिटल हो चुकी हैं, तब जनगणना जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया को भी ऑनलाइन और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना समय की माँग है।

क्यों जरूरी है डिजिटल जनगणना?

भारत सरकार के पास सैकड़ों विभाग हैं—स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक न्याय, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास, नगर निकाय, राजस्व, कृषि, श्रम और रोज़गार, गृह मंत्रालय आदि। इन विभागों को समय-समय पर अलग-अलग सर्वेक्षण, फॉर्म और जनगणनाएँ करनी पड़ती हैं। इससे न केवल संसाधनों की बर्बादी होती है, बल्कि डेटा असंगत और अपूर्ण भी रहता है।

यदि एक ही बार में एक विस्तृत डिजिटल जनगणना आयोजित की जाए, तो देश की समस्त सामाजिक और आर्थिक स्थिति का समग्र डेटा एक स्थान पर उपलब्ध हो सकता है, जिससे नीतियाँ बनाना, योजनाओं को लागू करना और लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करना अधिक सुगम हो जाएगा।

 

डिजिटल जनगणना में क्या-क्या जोड़ा जाए?

डिजिटल जनगणना के दौरान नागरिकों से विस्तृत जानकारी मांगी जानी चाहिए, जिससे सरकार की योजनाएं और नीतियां अधिक प्रभावी बन सकें। उदाहरणस्वरूप:

  • माता-पिता और पति/पत्नी की राष्ट्रीयता, एकल या दोहरी नागरिकता, धर्म, जाति, उपजाति, पासपोर्ट की स्थिति, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड एवं उनका स्थाई व वर्तमान निवास का पता — चाहे देश में हो या विदेश में।
  • बच्चों की जानकारी — वे किसके साथ रहते हैं, उनकी आयु, शिक्षा, और क्या वे देश में हैं या विदेश में।
  • आवास और संपत्ति विवरण — स्वयं का मकान है या नहीं, कितनी संपत्तियां हैं, क्या वे किराये पर रह रहे हैं या खुद के घर में और उनके स्वामित्व में उपलब्ध वाहनों की जानकारी।
  • आर्थिक जानकारी — नागरिक की आय का स्रोत, वार्षिक आमदनी, व्यवसाय, नौकरी की स्थिति, क्या वह नरेगा या अन्य केन्द्रीय या राज्य सरकारी योजनाओं का लाभार्थी है।
  • परिवार के सदस्यों की आमदनी — पत्नी, बच्चों की रोजगार की स्थिति एवं संभावित आय भी दर्ज की जानी चाहिए।
  • सरकारी लाभ और सामाजिक वर्गीकरण — क्या वे पिछड़े वर्ग में आते हैं, अनुसूचित जाति/जनजाति हैं, या किसी अन्य आरक्षित वर्ग के सदस्य हैं।
  • दिव्यांगता की स्थिति — अगर व्यक्ति दिव्यांग है (पूर्व में जिसे विकलांगता कहा जाता था), तो उसकी स्पष्ट जानकारी भी दर्ज होनी चाहिए।
  • लिंग विविधता की मान्यता — जनगणना फॉर्म में ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए एक अलग कॉलम अनिवार्य रूप से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि इस समुदाय को उचित सम्मान और मुख्यधारा में स्थान दिया जा सके।

एशिया के कई देशों ने ट्रांसजेंडर समुदाय को सम्मानजनक स्थिति दी है। भारत को भी यह दिखाना होगा कि वह अपने सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है।

नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएसओ) का एकीकरण

जनगणना प्रक्रिया को एनएसएसओ (नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस) के डाटा इनपुट और सैंपल सर्वे ढांचे से जोड़कर और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इससे न केवल आंकड़े बेहतर और वैज्ञानिक होंगे, बल्कि भविष्य की योजनाओं और अनुसंधान कार्यों में भी इसकी उपयोगिता बढ़ेगी। एनएसएसओ द्वारा वर्षों से एकत्रित सैंपल डेटा का मिलान अगर जनगणना के विस्तृत डेटा से हो, तो कई सामाजिक-आर्थिक विसंगतियों का अनुमान लगाया जा सकता है एवं उनका उचित निराकरण भी किया जा सकता है।

इन सूचनाओं को पहले से उपलब्ध सरकारी डेटाबेस जैसे UIDAI, NSDL, चुनाव आयोग, परिवहन विभाग, और राजस्व विभाग से आंशिक रूप से सत्यापित किया जा सकता है।

संभावित लाभ

  1. समग्र नागरिक प्रोफाइल: एक व्यक्ति की शिक्षा, आय, निवास, संपत्ति, दस्तावेज़, व्यवसाय आदि की जानकारी एक जगह संग्रहीत होगी। 
  2. डिजिटल KYC सिस्टम: सभी सरकारी सेवाओं के लिए अलग-अलग KYC की जरूरत नहीं होगी। 
  3. सार्वजनिक योजनाओं का लाभ: पात्रता सत्यापन तेज होगा और गलत एवं फ़र्ज़ी लाभार्थियों को रोका जा सकेगा। 
  4. विभागीय विलय और दक्षता: जैसे GST लागू होने से 25 से अधिक विभागों का विलय हुआ, वैसे ही डिजिटल जनगणना से दर्जनों सर्वेक्षणों और विभागों को समेकित किया जा सकता है। 
  5. पारदर्शिता और जवाबदेही: डुप्लिकेट रिकॉर्ड्स, फर्जी लाभार्थियों और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। 
  6. नवीन नीतियाँ और योजनाएँ: सरकार को सही जानकारी के आधार पर ज़रूरतमंद क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। 

क्या सब डिजिटल जनगणना भर पाएंगे?

यह एक उचित प्रश्न है कि भारत के कई ग्रामीण और तकनीकी रूप से पिछड़े क्षेत्र अभी डिजिटल साक्षरता से दूर हैं। लेकिन इसका समाधान यह नहीं है कि डिजिटल जनगणना न की जाए, बल्कि इसका हल यह है कि जो नागरिक स्वयं जानकारी भर सकते हैं, वे ऑनलाइन भरें, और जो नहीं भर सकते, उनका डेटा जनगणना ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारी या अधिकारी भरें।

यह हाइब्रिड मॉडल हमारे देश की विविधताओं को ध्यान में रखते हुए अधिक उपयुक्त और व्यावहारिक होगा।

जातिगत जनगणना को भी शामिल किया जाए

जब जनगणना डिजिटल होगी, तो जाति, धर्म, उपजाति, शैक्षणिक योग्यता, पेशा और आय के आंकड़े भी स्वचालित रूप से प्राप्त हो सकेंगे। इससे नीति निर्धारण और आरक्षण की समीक्षा जैसे संवेदनशील विषयों पर पारदर्शी और सटीक निर्णय लिए जा सकेंगे।

सरकार के पास पहले से अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची है, जिसे जनगणना फॉर्म में ड्रॉपडाउन के रूप में जोड़ा जा सकता है। इससे लोग अपनी जाति से संबंधित जानकारी एकरूपता से भर सकेंगे।

क्या यह सुरक्षित होगा?

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता इस प्रक्रिया का मूल हिस्सा होना चाहिए। फॉर्म को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन, और सिर्फ वैध सरकारी उपयोग के लिए सीमित करना आवश्यक है। साथ ही डेटा का भंडारण भारत के भीतर ही होना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने डिजिटल इंडिया, जीएसटी, और आधार जैसी ऐतिहासिक पहलें की हैं। अब समय आ गया है कि जनगणना जैसे सबसे बड़े डेटा संग्रह को भी तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए।

हमारा सरकार से आग्रह है कि 2025 या उसके पश्चात होने वाली जनगणना को डिजिटल माध्यम से भी अनिवार्य रूप से संचालित किया जाए। इससे एक ऐसा डेटा बैंक तैयार होगा जो भारत को योजनाओं, पारदर्शिता, जवाबदेही और विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।

 

धन्यवाद,


सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
पूर्व उपाध्यक्ष, जयपुर स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com

About Rtn. Suneel Dutt Goyal

Rtn. Suneel Dutt Goyal, a distinguished leader and visionary, has made significant contributions to Trade, Commerce, Industry, and Community service. Born and raised in Alwar and now based in Jaipur, Rajasthan, he is the Founder & Director General of the Imperial Chamber of Commerce and Industry (ICCI) since 2017. His leadership extends to key roles in the PHD Chamber of Commerce & Industry, the Confederation of Indian Industry (CII), and the Rotary Club Jaipur Round Town.

With over four decades of experience, Suneel has served as Co-Chairman of the Rajasthan Chapter of the PHD Chamber, Secretary, President and Zone Coordinator of the Rotary Club Jaipur Round Town, and Chairman, Treasurer and National Councillor for the Indian Institute of Material Management (IIMM). His dedication to community service is evident in his role as Patron of the Indian Red Cross Society and as a Life Member of the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH).

As Managing Partner of Goyal and Company, Suneel provides expert consultancy in SME IPOs, project financing, investments, and strategic business issues. He has played a pivotal role in the promoting & development of the Jaipur Stock Exchange Ltd., serving as its youngest Director and Vice-President, and has contributed to the formation of the Federation of Indian Stock Exchange Ltd.

Rtn. Suneel Dutt Goyal's expertise also spans corporate dairy farming and agriculture, where he drives innovation and sustainability. His multifaceted career and unwavering commitment to excellence make him a prominent figure in both the business and social sectors.