भारत ने बांग्लादेश को दिया कड़ा झटका, ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद करने से डगमगाई ढाका की अर्थव्यवस्था

मोहम्मद यूनुस, जिन्हें एक ‘डीप स्टेट’ का समर्थक माना जाता है, शायद यह भूल गए हैं कि यह भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। ना तो उन्हें व्यापार का ज्ञान है,ना ही राजनीति की उतनी समझ है जितनी होनी चाहिए।
आज का भारत पहले से कहीं अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर है। वह अब किसी भी प्रकार के दबाव की राजनीति में नहीं आता। यूनुस यदि अपने कंधे दूसरों को इस्तेमाल करने के लिए देते रहेंगे, तो यह न केवल बांग्लादेश के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि पूरे क्षेत्रीय संतुलन को भी बिगाड़ सकता है।
उन्हें समझना चाहिए कि बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर बाहरी सलाह या प्रभाव के आधार पर काम किया जाए। यदि वे अपने देश की नीतियों को किसी अन्य देश की सलाह पर आधारित करेंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब बांग्लादेश भी ग़लत राह पर चल पड़ेगा — शायद उसी ‘कंगाली’ के रास्ते पर, जिस पर पहले भी कई देश फिसल चुके हैं।
भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में अचानक तल्खी आ गई है। भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली बहुप्रतीक्षित ट्रांसशिपमेंट सुविधा पर रोक लगाकर एक स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है – ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि है।’ यह निर्णय उस समय आया है जब बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने चीन में भारत विरोधी बयान दिए। परंतु यह केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल है, जिसका दूरगामी असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है।
ट्रांसशिपमेंट सुविधा क्यों थी बांग्लादेश के लिए जीवनरेखा?
बांग्लादेश, विशेषकर रेडीमेड गारमेंट्स और फुटवियर उद्योग के लिए भारत का लॉजिस्टिक सहयोग एक जीवनरेखा जैसा था। बांग्लादेश के बंदरगाह – चटगांव और मोंगला – सीमित क्षमता के कारण अत्यधिक भीड़भाड़ और समय की बर्बादी से जूझते हैं। ऐसे में भारत के कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और अन्य बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से ट्रांसशिपमेंट सुविधा मिलने से बांग्लादेश को यूरोप, अमेरिका और मध्य एशिया के बाजारों तक तेज़ और सस्ते निर्यात की सुविधा मिली थी।
भारत के जरिए होने वाले ट्रांसशिपमेंट से न केवल समय और लागत में कमीआई, बल्कि बांग्लादेशी निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने का मौका दिया। यही कारण था कि वर्ष 2024 में केवल पेट्रापोल सीमा से ₹357 करोड़ मूल्य का ट्रांसशिपमेंट हुआ।
भारत का कड़ा फैसला – कारण केवल यूनुस के बयान नहीं
हालांकि यूनुस के बयान ट्रिगर प्वाइंट साबित हुए, लेकिन भारत के इस फैसले के पीछे कई अन्य रणनीतिक पहलू भी हैं:
पूर्वोत्तर राज्यों को ‘लैंडलॉक्ड’ बताकर दबाव की रणनीति अपनाना: यूनुस ने यह कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हुए हैं और उन्हें केवल बांग्लादेश के रास्ते ही दुनिया से जोड़ा जा सकता है। यह एक रणनीतिक ब्लैकमेल की कोशिश थी, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया।
चीन को आमंत्रण: यूनुस ने बांग्लादेश में चीनी निवेश को बढ़ावा देने का अनुरोध किया, जो भारत के लिए सुरक्षा और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है।
सीमा सुरक्षा पर बढ़ती चिंताएं: बांग्लादेश की सीमा से अक्सर अवैध घुसपैठ, मादक पदार्थों की तस्करी, और रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या जैसे मुद्दे भारत को परेशान करते हैं।
भारत के फैसले के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव – बांग्लादेश के लिए विनाशकारी परिदृश्य
गारमेंट इंडस्ट्री पर सीधा प्रहार:
बांग्लादेश की जीडीपी का लगभग 16% और कुल निर्यात का 83% रेडीमेड गारमेंट्स से आता है। यदि भारत के रास्ते शिपिंग रुकती है, तो समय और लागत दोनों में तेज़ी से वृद्धि होगी। इससे बांग्लादेश की प्रतिस्पर्धात्मकता घटेगी और ऑर्डर्स वियतनाम, कंबोडिया व भारत जैसे प्रतिस्पर्धियों को मिल सकते हैं।
विदेशी निवेश में गिरावट:
विदेशी कंपनियाँ, जो अब तक बांग्लादेश को एक कम लागत वाला मैन्युफैक्चरिंग हब मानती थीं, भारत से दुश्मनी और चीन के साथ बढ़ती नज़दीकियों को देखकर निवेश कम कर सकती हैं। राजनीतिक अस्थिरता का डर विदेशी पूंजी को दूर धकेल सकता है।
भूगोलिक निर्भरता अब अभिशाप बनेगी:
बांग्लादेश, भारत से तीन ओर से घिरा हुआ है। भारत से संबंध खराब होने का मतलब है – भूमि, वायु और जलमार्गों तक सीमित पहुंच। कोई भी वैकल्पिक मार्ग जैसे चीन के जरिए निर्यात, न केवल महंगे हैं, बल्कि अव्यवहारिक भी।
भारतीय टूरिज़्म और मेडिकल वीज़ा का बंद होना:
हजारों बांग्लादेशी नागरिक भारत में इलाज के लिए आते हैं। अगर संबंध बिगड़े तो मेडिकल वीज़ा, उच्च शिक्षा और टूरिज्म वीज़ा बंद हो सकते हैं, जिससे मध्यम वर्ग पर सीधा असर होगा।
रोज़गार में भारी गिरावट:
गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े करोड़ों लोगों की नौकरियों पर संकट आ सकता है। पहले से ही महंगाई और बेरोज़गारी की मार झेल रहा बांग्लादेश सामाजिक अशांति की ओर बढ़ सकता है।
भूटान, नेपाल और म्यांमार के व्यापार मार्ग भी बंद हो सकते हैं:
बांग्लादेश भारत के माध्यम से भूटान और नेपाल को भी वस्तुएं भेजता था। भारत के रास्ते बंद होने से ये बाजार भी खो सकते हैं।
भारत के साथ व्यापार घाटा बढ़ेगा, लेकिन व्यापार खत्म हो सकता है:
बांग्लादेश भारत से हर साल लगभग 13-14 अरब डॉलर का सामान आयात करता है। यदि भारत प्रतिबंध लगाता है तो रोज़मर्रा की ज़रूरतें जैसे दवाइयाँ, मसाले, इंजीनियरिंग सामान और औद्योगिक मशीनरी महंगे या दुर्लभ हो सकते हैं।
भारत को क्या फायदा?
अपने बंदरगाहों पर लोड कम करके भारतीय निर्यातकों को बढ़त मिलेगी।
गारमेंट, फुटवियर, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत की ग्लोबल हिस्सेदारी बढ़ेगी।
भूटान और नेपाल के साथ रणनीतिक संबंध और मजबूत होंगे।
चीन और बांग्लादेश की नज़दीकी को नियंत्रित करने का दबाव बनाए रखा जा सकेगा।
निष्कर्ष: दुश्मनी की कीमत भारी पड़ेगी
बांग्लादेश को यह समझना होगा कि भारत से कूटनीतिक और भू-राजनीतिक दुश्मनी का सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था, सामाजिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ेगा।
हर छोटे और विकासशील देश को यह समझना चाहिए कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते में अपने पड़ोसी देश की क्षमताओं, हितों और सुरक्षा को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है। पड़ोसी देश हमेशा पड़ोसी रहेंगे, और अच्छे संबंध ही स्थायी हित में होते हैं।
पाकिस्तान का उदाहरण सामने है, जिसने पिछले 75 वर्षों में भारत के साथ आतंकवाद और अनुचित व्यवहार को ही चुना — और आज वही आतंकवाद पाकिस्तान की नीयत और हालत पर भारी पड़ रहा है।
भारत ने अपने रुख से यह साफ कर दिया है कि वह अब ‘सॉफ्ट स्टेट’ नहीं रहा। यदि कोई देश उसकी सुरक्षा, भू-रणनीति या वर्चस्व को चुनौती देता है, तो भारत प्रतिरोध करने को तैयार है – और अब वह प्रतिरोध न केवल शब्दों में बल्कि रणनीतिक नीतियों के ज़रिए होगा।
मोहम्मद यूनुस को यह समझना चाहिए कि वह फिलहाल केवल बांग्लादेश सरकार के एक सलाहकार हैं, प्रधानमंत्री नहीं। उनका चयन चुनाव के माध्यम से नहीं हुआ है, बल्कि एक प्रक्रिया द्वारा नामांकित किया गया है। उन्हें अपनी सीमाएं, मर्यादाएं और जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
अगर वह अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए कार्य करेंगे, और बांग्लादेश के हित में सोचेंगे, तभी उनका देश भी सशक्त बन पाएगा — अन्यथा यह केवल किसी अन्य देश के हित साधन का माध्यम बन जाएगा।
धन्यवाद,
सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान
suneelduttgoyal@gmail.com